भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus in India) का प्रकोप पांच राज्यों में सबसे ज्यादा है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली वो राज्य हैं जहां देश के 50% Covid-19 पेशेंट्स सामने आए हैं।
50% कोरोना पॉजिटिव इन पांच राज्यों में, ये हैं पांच कारणकोरोना वायरस के कन्फर्म मामलों की संख्या भारत में 11 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है। महाराष्ट्र सबसे बुरी तरह प्रभावित है जहां 2600 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। वहां पर 178 लोगों की मौत हुई है। डेढ़ हजार से ज्यादा मामलों के साथ दिल्ली दूसरे नंबर पर है। तमिलनाडु से 1200 से ज्यादा मामले, मध्य प्रदेश से 740+ केसेज आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश में भी मामलों की संख्या पिछले कुछ दिन में तेजी से बढ़ी है। यहां अब 672 मामले हो चुके हैं। यानी इन पांच राज्यों में देश के 50% से ज्यादा कोरोना वायरस केसेज हैं। आखिर यहां इतने ज्यादा मामले क्यों सामने आए, इसकी वजह क्या है?
आबादी ज्यादा होने से सोशल डिस्टेंसिंग ताक पर
इन पांच राज्यों मेंदेश की लगभग 50 फीसदी आबादी भी बसती है। यानी जनसंख्या घनत्व बाकी देश के मुकाबले ज्यादा है। ये सभी स्टेट्स ऐसे हैं जहां से विदेश जाने वालों की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा, महाराष्ट्र और दिल्ली में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बसे हैं। दोनों ही राज्यों से मजदूरों के एक जगह जमा होने की खबरें आ चुकी हैं। संक्रमण का खतरा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर बेहद अधिक होता है। सोशल डिस्टेंसिंग का ना फॉलो होना भी केसेज बढ़ने की बड़ी वजह है। रोज मंडियों में भीड़ की तस्वीरें सामने आ रही हैं।
लापरवाही से बढ़े मामले
कोरोना वायरस के अधिकतर मामलों में सावधानी नहीं बरती गई। मसलन कोई व्यक्ति विदेश से लौटा तो उसने खुद को क्वारंटीन नहीं किया। इससे उसके कॉन्टैक्ट में आए व्यक्ति को भी कोरोना हो गया। फिर इसी तरह उनके संपर्क में आए लोगों को। इस तरह से चैन बनाकर कोरोना फैलने के कई उदाहरण इन राज्यों से सामने आए हैं।
टेस्टिंग अहम फैक्टर
केरल, गोवा, दिल्ली, राजस्थान जैसे राज्य टेस्टिंग में प्रोएक्टिव रहे हैं। शुरुआत में बाकी राज्यों में उतने टेस्ट नहीं किए गए। शायद इस वजह से शुरुआती स्टेजेस में बहुत से मामले सामने आने से रह गए। मसलन, राजस्थान में भीलवाड़ा और जयपुर से बड़ी संख्या में मामले सामने आए। इसके बाद युद्धस्तर पर इन इलाकों में स्क्रीनिंग और टेस्टिंग अभियान चलाया गया। लॉकडाउन को बेहद सख्ती से लागू कराया गया। भारत शुरू में कम टेस्ट कर रहा था। पिछले कुछ दिनों से रोज 10-12 हजार टेस्ट्स हो रहे हैं।
लक्षणों का देर से सामने आना
कोरोना वायरस के बहुत से मामले ऐसे हैं जहां व्यक्ति में शुरुआती 3-4 दिन कोई लक्षण नहीं दिखते। ऐसे में पीड़ित को पता ही नहीं होता कि वो कैरियर है। चूंकि वायरस बेहद संक्रामक है, ऐसे में अगर सावधानी ना बरती जाए तो बहुतों को इन्फेक्शन हो सकता है और हो रहा है।
तबलीगी जमात के मामले
दिल्ली में अगर आज कोरोना वायरस के इतने ज्यादा मामले हैं तो उसके पीछे सबसे बड़ा फैक्टर तबलीगी जमात का आयोजन है। यहां के करीब 70 प्रतिशत मामलों का जमात से कनेक्शन है। कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले भारत के कई अन्य हिस्सों में गए और वहां कोरोना फैलाया। तमिलनाडु में भी जमात के मामले काफी ज्यादा हैं।