राज्यसभा चुनाव: गुजरात में 4 सीटों पर 5 प्रत्याशी, 2017 के 'पटेल प्लान' से कांग्रेस बचाएगी किला!


अहमदाबाद
गुजरात में चार राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना है। इन चार सीटों पर होने वाले मुकाबले में पांच उम्मीदवार उतारे जाने से चुनाव दिलचस्प हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्यसभा के लिए अभय भारद्वाज, रमीवा बेन बारा और नरहरि अमीन को प्रत्याशी बनाया है। उधर, कांग्रेस ने शक्ति सिंह गोहिल और भरत सिंह सोलंकी को कैंडिडेट घोषित किया है। इन स्थितियों को देखते हुए गुजरात में वर्ष 2017 में अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव जैसी लड़ाई की स्थिति नजर आ रही है। उस दौरान कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में बनाए रखने के लिए कर्नाटक का एक रिजॉर्ट बुक किया गया था। तमाम प्रयोगों के बाद अहमद पटेल ने जीत दर्ज की तो उसे गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दे दी गई थी।


अब आइए एक नजर गुजरात के हिसाब से राज्यसभा के चुनावी गणित पर डालते हैं। गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं। इनमें से दो रिक्त (खाली) हैं। बचती हैं कुल 180 सीटें। गुजरात में चार राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। चार में एक जोड़कर 180 को उस संख्या यानी 5 से विभाजित करेंगे। ऐसे में संख्या 36 आती है। मतलब यह कि प्रथम वरीयता के लिए कुल 37 विधायकों की आवश्यकता होगी।

बढ़ेगा क्रॉस वोटिंग का खतरा!
गुजरात विधानसभा में बीजेपी के सदस्यों की संख्या 103 है जबकि कांग्रेस के कुल सदस्य 73 हैं। भारतीय ट्राइबल पार्टी के पास दो और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पास एक सीट है। एक निर्दलीय विधायक भी है। कांग्रेस को दो सीटें जीतने के लिए कुल 74 वोटों की जरूरत होगी। वहीं, बीजेपी को तीन राज्यसभा सीटें जीतने के लिए 111 विधायकों की आवश्यकता है। इसे देखते हुए बीजेपी को बीटीपी, एनसीपी के साथ-साथ कांग्रेस के पांच विधायकों की भी जरूरत होगी। इन अहम पहलुओं के मद्देनजर कांग्रेस के सामने क्रॉस वोटिंग का खतरा बढ़ना लाजमी है।


जब बढ़ गईं अहमद पटेल की मुश्किलें
वर्ष 2017 में कुछ यही परिस्थिति कांग्रेस नेता अहमद पटेल के सामने आ गई थी। तीन सीटों के लिए हो रहे चुनाव में अमित शाह, स्मृति ईरानी, बलवंत सिंह राजपूत को उम्मीदवार बनाया गया था। कांग्रेस के कई विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी, जिसके बाद अहमद पटेल के लिए अड़चनें बढ़ गई थीं। हालांकि, काफी मशक्कत के बाद अहमद पटेल ने जीत दर्ज की थी और बलवंत सिंह राजपूत को शिकस्त का सामना करना पड़ा था।

...तो क्या अमीन की नजदीकी आएगी काम?
चार सीटों पर पांच उम्मीदवारों को देखते हुए कांग्रेस के सामने फिर संकट खड़ा होता नजर आ रहा है। आननफानन कांग्रेस अपने विधायकों को राजस्थान भेजने की तैयारी में जुट गई है। दरअसल, नरहरि अमीन कांग्रेस में रह चुके हैं। माना जाता है कि उनकी कांग्रेस विधायकों में अच्छी पकड़ है।