छिंदवाड़ा
एमपी में पोस्टर की सियासत के बाद नेता अपने क्षेत्र में लौटने लगे हैं। पूर्व सीएम कमलनाथ और उनके बेटे को लेकर छिंदवाड़ा में लापता होने के पोस्टर लगे थे। उसके बाद ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लगे। पोस्टर लगने के कुछ दिन बाद ही कमलनाथ अपने सांसद बेटे नकुलनाथ के साथ छिंदवाड़ा पहुंच गए हैं। वहीं, सिंधिया भी 1 जून को पहुंच रहे हैं। कमलनाथ ने छिंदवाड़ा पहुंचे और शिवराज सरकार ने वहां के विकास कार्यों की फाइलें खोल दी हैं।
करीब साढ़े तीन महीने बाद कमलनाथ अपने बेटे के साथ 26 मई को छिंदवाड़ा पहुंचे हैं और 28 मई को तक वह वहां रुकेंगे। इस दौरान वह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए संगठन के लोगों से मिलेंगे। कमलनाथ के छिंदवाड़ा जाते ही, शिवराज सरकार घेराबंदी की तैयारी शुरू कर दी है। उपचुनाव से पहले सरकार कमलनाथ को उलझाए रखना चाहती है।
छिंदवाड़ा के विकास कार्यों की जांच
मंत्री समूह की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि छिंदवाड़ा के विकास कार्यों की फाइलें खुलेंगी। सरकार आखिर के 6 महीने में कमलनाथ की सरकार ने जो निर्णय लिए थे, उसकी जांच करवा रही है। मंत्री समूह के सदस्य और कृषि मंत्री कमल पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि कांग्रेस की सरकार में 100 में से 75 फीसदी बजट सिर्फ छिंदवाड़ा में खर्च किया गया है। अगर नियम के विरुद्ध कार्य हुए होंगे तो दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि कांग्रेस ने कहा है कि हम लोग हर जांच के तैयार हैं। घोटालेबाजों को हर चीज में घोटाला ही आता है। कांग्रेस ई-टेंडर मामले को लेकर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर भी तंज कसा है। वह खुद जांच के दायरे में थे।
निशाने पर हैं कमलनाथ
लोकसभा चुनाव से पहले भी कमलनाथ के सहयोगियों के आवास पर आईटी के छापे पड़े थे। चुनाव के दौरान इसे बीजेपी ने खूब उछाला था। अब विधानसभा उपचुनाव से पहले भी शायद बीजेपी कमलनाथ को घेरना चाहती है। कमलनाथ को जांच की आंच में उलझाना चाहती है। ताकि उपचुनाव में पार्टी की राह आसान हो जाए। क्योंकि कांग्रेस उपचुनाव भी कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ेगी। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी कमलनाथ ही हैं।