पत्नी ने शहीद कर्नल के शरीर से लिपटे तिरंगे को चूमा, चिता के पास खड़ी होकर आशुतोष के शव को पल्लू से की हवा  



जयपुर. हंदवाड़ा में शनिवार को आतंकियों से एनकाउंटर के दौरान शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा की देह मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गई। सुबह करीब पौने 11 बजे जयपुर के अजमेर रोड पर पुरानी चुंगी के पास मोक्षधाम में राजकीय सम्मान के साथ कर्नल आशुतोष शर्मा का अंतिम संस्कार किया गया। उनके बड़े भाई पीयूष ने मुखाग्नि दी। इस दौरान पत्नी पल्लवी भी मुखाग्नि देने की रस्म में साथ रही। इससे पहले सेना के पुष्पों से सुसज्जित ट्रक में कर्नल आशुतोष का शव आर्मी कैंपस में बने पोलो ग्राउंड से मोक्षधाम लाया गया।
कर्नल आशुतोष की पार्थिव देह से लिपटे तिरंगा ध्वज को उतारकर आर्मी अफसर ने आशुतोष की पत्नी पल्लवी को हाथों में सौंपा तो उन्होंने तिरंगे को सिर से लगाया और फिर चूमा। 


वहां उनके शरीर से लिपटे तिरंगा ध्वज को उतारकर आर्मी के एक अफसर ने आशुतोष की पत्नी पल्लवी को हाथों में सौंपा तो पल्लवी ने तिरंगे को सिर से लगाया और फिर सीने से लगाकर चूमा। इस बीच इस वीरांगना पत्नी की आंखों से आंसू छलक पड़े लेकिन तुरंत उन्होंने खुद को संभाल लिया। पत्नी पल्लवी के चेहरे पर एक हल्की सी गर्वीली मुस्कान नजर आई। इस बीच जब आशुतोष के शव को चिता पर लेटाया गया। तब काफी देर तक पत्नी पल्लवी तिरंग को सीने से चिपकाए हुए पति के शव को दूर से एकटक निहारने लगी।


आशुतोष की इकलौती बेटी तमन्ना अंतिम संस्कार की रस्मों के दौरान अपनी मां पल्लवी के पास ही खड़ी रही। उसकी आंखों से भी पापा के शव को देखकर एक बारगी आंसू निकले। लेकिन जांबाज अफसर कर्नल आशुतोष की इस मासूम बेटी ने भी खुद को संभाल लिया। इस दौरान मुखाग्नि देने से पहले पल्लवी ने एक आर्मी अफसर से कुछ बात की। फिर वे चिता पर रखे पति आशुतोष के शव के पास जाकर खड़ी हो गई और अंतिम बार अपनी चुनरी के पल्लू से उन्हें हवा करने लगी। यह दृश्य जिस किसी ने देखा। उसकी आंखें नम हो गई। 


शहादत को सम्मान देने की प्रतिज्ञा की थी इसलिए आंसूओं को निकलने से रोका
राष्ट्रीय राइफल्स 21 के कमांडिंग अफसर कर्नल आशुतोष को अंतिम विदाई के दौरान कई भावुक पल आए। लेकिन इस दौरान उनकी बुजुर्ग मां, बड़े भाई पीयूष, पत्नी पल्लवी, बेटी तमन्ना और अन्य नजदीकी रिश्तेदारों ने खुद को मजबूत रखा। चंद पलों के लिए एकबारगी आंखों से आंसू छलके लेकिन फिर उसी वक्त खुद को संभाल लिया। दिल में अपने बेटे, पति, भाई और पिता को खोने को दर्द बहुत बड़ा था।


लेकिन, परिवार के इन सदस्यों ने प्रतिज्ञा ली थी कि कर्नल आशुतोष के शव को हंसते हुए विदाई देंगे। आखिरकार, पौने 11 बजे वह वक्त आया तब भारत माता और कर्नल आशुतोष की जयकारों से आसमान गूंज उठा और उनकी चिता को मुखाग्नि प्रदान की गई। सभी परिवार के सदस्यों ने अपना वचन निभाया और हंसते मुस्कुराते हुए कर्नल को अंतिम विदाई दी। इस दौरान आर्मी के साथी अफसर और जवान भी वहां मौजूद रहे। इनमें कुछ की आंखें छलक पड़ी। इस दौरान अजमेर रोड पुलिया और सड़क पर राहगीर भी इकट्ठा हो गए। उन्होंने भी सेल्यूट दिया।


मुखाग्नि देने से पहले बड़े भाई ने मां के पैर छूए, मां ने कहा-मेरा वीर सपूत चला गया
अंतिम संस्कार की रस्मों को पूरा कर मुखाग्नि देने से पहले आशुतोष के बड़े भाई पीयूष ने एक कुर्सी पर बैठी मां के पास जाकर उनके पैर छूए। फिर हाथ जोड़कर आर्शीवाद लिया। इस दौरान वे भावुक हो गए। आशुतोष की मां ने कहा था कि बेटे ने एनकाउंटर के दो दिन पहले ही फोन पर बातचीत में कहा था कि मां तुम्हें हंदवाड़ा घुमाऊंगा। ड्यूटी पूरी होते ही तुम्हें फोन करुंगा। इसके बाद यहां बुलवा लूंगा। मां ने कहा कि मेरे दो बेटे है। इनमें एक वीर सपूत देश पर बलिदान हो गया। मेरी आधी जिंदगी रह गई। मां ने यह भी बताया कि आशुतोष की पोस्टिंग जहां भी रहती थी। वह उन्हें घुमाने के लिए जरुर बुलाता था।