सौ परिवारों को एक महीने का राशन और 3000 लोगों को मास्क बांट चुका है यह दिव्यांग भिखारी


पठानकोट
कोरोना काल के लॉकडाउन के दौरान पूरे देश से मानवता की मिसाल पेश करने वाली खबरें सामने आ रही हैं। सक्षम लोग लोगों की खूब मदद कर रहे हैं लेकिन पंजाब के पठानकोट में एक दिव्यांग भिखारी ऐसा है जो अब तक सौ लोगों को एक महीने का राशन बांट चुका है। इतना ही नहीं 3000 लोगों को मास्क भी दे चुके हैं। वह भीख मांगकर अपने पास सिर्फ उतना रखते हैं, जितने में उनका गुजारा हो। बाकी सब वह दूसरे लोगों में बांट देते हैं।

अपंग राजू ट्राई साइकल से चलते हैं और भीख मांगकर अपना जीवन यापन करते हैं। राजू ने भीख मांगकर अपने पास जो पूंजी जमा की, उससे उन्होंने मास्क खरीदे और 3,000 लोगों को बांटे। राजू ने बताया कि उनके पास 80,000 रुपये की जमा पूंजी थी जिसे उन्होंने मास्क और लोगों को बांटने के लिए राशन खरीदने में खर्च किए।


स्थानीय लोगों ने राजू की सराहना की
राजू ने बताया कि उन्हें पता चला कि लॉकडाउन में कई लोगों की नौकरियां चली गई हैं। कई लोग ऐसे हैं जिनके पास कुछ खाने को नहीं है। गरीब लोग बिना मास्क के घरों के बाहर खूम रहे हैं। राजू से रहा नहीं गया। उन्होंने जो राशन खरीदा उससे सौ परिवारों को एक महीने का राशन बांटा। राजू के इस नेक काम को देखकर लोगों ने उनकी जमकर तारीफ की।


दिन भर मांगते हैं भीख और उस रकम से लोगों की करते हैं मदद
तीन पहिए वाली साइकिल पर पूरे दिन पठानकोट की सड़कों पर घूमने वाले राजू शाम को अपने बॉक्स में जमा हुई रकम गिनते हैं। उन रुपयों से वह अपने लिए खाने का इंतजाम करते हैं और दूसरे परिवारों के लिए राशन खरीदते हैं। देश में उनके जैसे हजारों भिखारी हैं। लेकिन वह संभवत: देश के पहले ऐसे भिखारी हैं जो भीख मांगकर दूसरों की मदद कर रहे हैं।


कई गरीब बच्चों के स्कूल की फीस और लड़कियों की शादियां भी कराईं
ऐसा नहीं है कि राजू सिर्फ लॉकडाउन में ही लोगों की मदद कर रहे हैं। वह गरीब परिवारों की मदद करते रहते हैं। वह कई बच्चों के स्कूल की फीस भर चुके हैं तो कई गरीब लड़कियों की शादियां करा चुके हैं। राजू ने बताया कि उन्होंने 22 लड़कियों की शादी पर पैसा खर्च किया।


पुल ढहा तो कराई मरम्मत
ढांगू मार्ग पर एक छोटा पुल बना है। एक बार वह ढह गया था। स्थानीय लोग परेशान हो गए। जब प्रशासन में कोई सुनवाई नहीं हुई तो राजू आगे आए और उन्होंने अपने पास रखी रकम पुल की मरम्मत में खर्च की।


बोले- 'अर्थी को कंधा देने वाला कोई तो होगा'
राजू ने कहा कि वह भिखारी हैं इसलिए उनके रिश्तेदार उनसे संबंध नहीं रखते। उनका कोई नहीं है इसलिए वह सारी रकम नेक काम में खर्च कर देते हैं। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि अगर वह लोगों की मदद करेंगे तो उनके मरने के बाद अर्थी को कंधा देने के लिए लोग आगे आएंगे। उनकी लाश को किसी लावारिस की तरह नहीं फेंका जाएगा।