महाराष्ट्र: स्थानीय मजदूरों से ज्यादा काम कराने पर जोर, प्रवासियों से परहेज की तैयारी में शिवसेना


मुंबई
प्रवासी मजदूरों के पलायन के बीच महाराष्ट्र में एक बार फिर स्थानीय बनाम बाहरी की सियासत शुरू हो गई है। प्रवासी मजदूरों के बड़ी संख्या में पलायन करने के बाद महाराष्ट्र की सरकार ने अब ऐसी रणनीति बनाई है, जिससे कि महाराष्ट्र के मूल निवासियों को रोजगार की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। सरकार का उद्देश्य है कि इससे एक बार फिर उद्योगों को बिना मजदूरों की कमी के फिर से संचालित कराया जा सके।

शिवसेना की महाअघाड़ी सरकार को भी यह पता है कि प्रवासी मजदूरों के पलायन से उद्योगों को मजदूरों की भारी किल्लत होने वाली है। ऐसे में शिवसेना ने एक बार फिर उसी लाइन पर काम करना शुरू किया है, जिसकी शुरुआत बाला साहब ठाकरे ने की थी। इसी बहाने शिवसेना एक तीर से दो निशाने लगा रही है एक तरफ जहां वह भूमि पुत्रों को नौकरी देने के अपने वादे को पूरा कर रही है तो वहीं महाराष्ट्र में मजदूरों की किल्लत को भी दूर करने का प्रयास कर रही है।


सोलापुर से की गई है शुरुआत
शिवसेना ने अब स्थानीय युवाओं को ही तमाम औद्योगिक इकाइयों में समायोजित करने का फैसला किया है। इसके लिए राज्य के सोलापुर जिले से मिशन भूमिपुत्र की शुरुआत की गई है। अब इसे राज्य के अन्य जिलों में भी फैलाने की तैयारी की जा रही है।


मजदूरों को कराना होगा रजिस्ट्रेशन
वहीं राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई भी ये कह चुके हैं कि दूसरे राज्य से महाराष्ट्र आने वाले लोगों को अब यहां पर नौकरी के लिए सरकार से पंजीकरण कराना होगा। ऐसी स्थितियों में यह माना जा रहा है कि तमाम जटिलताओं के कारण प्रवासी मजदूरों को महाराष्ट्र में काम पाने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।