जेल से छुट्टी मिलने के बाद तिहाड़ से रिहा हुए अजय चौटाला


चंडीगढ़/नई दिल्ली
हरियाणा में रविवार को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह से पहले जननायक जनता पार्टी के चीफ दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला को जेल से रिहा किया गया है। जेल से दो हफ्ते की छुट्टी मिलने के बाद अजय चौटाला को रविवार सुबह तिहाड़ जेल से रिहा किया गया। जेल से बाहर आने के बाद मीडिया से बात करते हुए दुष्यंत चौटाला के फैसले पर खुशी जाहिर की। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा की जनता का फैसला हमेशा सर्वोपरि होता है।


मीडिया से संवाद के दौरान चौटाला ने यह भी कहा कि दुष्यंत को आईएनएलडी ने पार्टी से निकालने का फैसला किया था और इसके सिर्फ 11 महीने में ही उनके बेटे ने नई पार्टी खड़ी की। चौटाला ने कहा कि बीजेपी से गठबंधन से पहले उनके बेटे ने उनसे सहमति ली थी। 


उन्होंने कहा कि दुष्यंत कोई भी फैसला बिना मुझसे नहीं करते और इस बार भी उन्होंने बीजेपी से गठबंधन का जो फैसला किया है, उसके लिए मैंने उन्हें सहमति दी थी। बता दें कि बीजेपी से गठबंधन से पहले दुष्यंत चौटाला ने तिहाड़ जेल में अपने पिता से मुलाकात की थी और माना जा रहा था कि इसी दौरान दोनों नेताओं के बीच बीजेपी से समझौते को लेकर मंथन हुआ था।
टीचर भर्ती घोटाले में दोषी
अजय चौटाला हरियाणा में जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) टीचर भर्ती घोटाला मामले में जेल गए। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नैशनल लोकदल (आईएनएलडी) के अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने 10-10 साल की सजा सुनाई थी। इस घोटाले में कुल 55 लोगों को कोर्ट ने दोषी करार दिया था।
क्या होता है फरलो?
वैसे मुजरिम जो आधी से ज्यादा जेल काट चुका हो, उसे साल में 4 हफ्ते के लिए फरलो दिया जाता है। फरलो मुजरिम को सामाजिक या पारिवारिक संबंध कायम रखने के लिए दिया जाता है। इनकी अर्जी डीजी जेल के पास भेजी जाती है और इसे गृह विभाग के पास भेजा जाता है और उस पर 12 हफ्ते में निर्णय होता है। एक बार में दो हफ्ते के लिए फरलो दिया जा सकता है और उसे दो हफ्ते के लिए एक्सटेंशन दिया जा सकता है। फरलो मुजरिम का अधिकार होता है, जबकि परोल अधिकार के तौर पर नहीं मांगा जा सकता। पैरोल के दौरान मुजरिम जितने दिन भी जेल से बाहर होता है, उतनी अतिरिक्त सजा उसे काटनी होती है। फरलो के दौरान मिली रिहाई सजा में ही शामिल होती है।