क्या सुहागरात पर होने वाला सेक्स सहमति से होता है?


बॉलिवुड फिल्में, मैगजीन्स और इंटरनेट की दुनिया ने भारतीय परिपेक्ष्य में सुहाग रात को नए शादीशुदा जोड़े की लाइफ का सबसे अहम हिस्सा या यूं कहें तो रिवाज बना दिया है। शादी पूरी होने के बाद जो पहली रात आती है जब दूल्हा-दुल्हन साथ होते हैं उसे ही सुहाग रात या फर्स्ट नाइट कहते हैं। इस दौरान कपल के बेड को फूलों से सजाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि नए शादीशुदा जोड़े के रिश्ते में फूलों जैसी महक और मिठास हमेशा बनी रहे। 


इस दौरान आपने देखा होगा कि दूल्हे के परिवारवाले दुल्हन को फूलों से सजे कमरे में लेकर जाते हैं जहां दुल्हन दूध के गिलास के साथ अपने पति के आने का इंतजार करती है। जब पति आता है तो वह पत्नी का घूंघट उठाता है और फिर शादी को पूरा माना जाता है। यह रिवाज भले ही देखने और सुनने में कितना भी प्यारा और रोमांटिक लगे लेकिन यह सभी के लिए एक जैसा नहीं होता। खासकर दुल्हन के लिए। 


83 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं पति को मानती हैं दोषी
इंडियन पेनल कोड में मैरिटल रेप को क्रिमिनल ऑफेंस यानी आपराधिक मामला नहीं माना जाता। यूएन की ग्लोबल स्टैटिस्टिकल रिपोर्ट की मानें तो दुनियाभर में सिर्फ 11 प्रतिशत ही सेक्शुअल असॉल्ट और रेप के केसेज दर्ज किए जाते हैं। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की ताजा रिपोर्ट की मानें तो 15 से 49 साल के बीच की शादीशुदा महिलाएं जिन्होंने कभी भी यौन उत्पीड़न का सामना किया हो उनमें से 83 प्रतिशत अपने मौजूदा पति को इसका दोषी मानती हैं।

सेक्स के बारे में आज भी नहीं होती बात
भारतीय समाज में जो अब भी काफी रुढ़िवादी और पारंपरिक है वहां आज भी सेक्स को टैबू समझा जाता है और इसके बारे में बात नहीं की जाती। लोगों के दिमाग में सेक्स को लेकर कई तरह की फैंटसी और इच्छाएं होती हैं लेकिन वे इसे शारीरिक जरूरत के तौर पर नहीं समझते और ना ही अपनी जरूरत को व्यक्त करते हैं। ज्यादातर भारतीय पुरुष ऐसा मानते हैं कि शादी उन्हें वह लाइसेंस देती है जिसके जरिए वह सेक्शुअल ऐक्टिविटी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन ये पुरुष सेक्स के सबसे अहम बात को भूल जाते हैं और वह है- सहमति।