आरसीईपी में शामिल नहीं होगा भारत, पीएम मोदी ने किया बाहर रहने का फैसला


नई दिल्ली
भारत ने रीजनल कॉम्प्रिहंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) में शामिल न होने का फैसला लिया है। इस समझौते में अनसुलझे मुद्दों के कारण भारत ने इस पार्टनरशिप से बाहर रहना ही सही समझा।आरसीईपी समिट में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि RCEP के तहत कोर हितों पर कोई समझौता नहीं होगा। भारत का कहना है कि RCEP समझौता अपनी मूल मंशा को नहीं दर्शा रहा है और इसके नतीजे संतुलित और उचित नहीं हैं। भारत ने इस समझौते में कुछ नई मांग रखी थी। भारत का कहना था कि इस समझौते में चीन की प्रधानता नहीं होनी चाहिए, नहीं तो इससे भारत को व्यापारिक घाटा बढ़ेगा।


'पिछले मुद्दों को हल किए बिना कोई समझौता नहीं'
यूपीए के शासनकाल के दौरान भारत सरकार ने आसियान देशों में 74 फीसदी मार्केट खोला लेकिन इंडोनेशिया जैसे धनी देशों ने भारत में केवल 50 फीसदी मार्केट ही खोला। यूपीए सरकार साल 2007 में भारत-चीन FTA के लिए सहमत हुई थी और 2011-12 में चीन के साथ आरसीईपी समझौते पर भी मान गई थी।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि इन फैसलों के कारण घरेलू उद्योग अभी भी जूझ रहा है। पीएम मोदी की अगुआई में इन मुद्दों को हल करने की कोशिश की जा रही है इसलिए भारत पिछले मुद्दों को हल किए बिना RCEP के तहत एक और असमान समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करता चाहता।


न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक बताया है कि वे दिन गए तब व्यापार के मुद्दों पर वैश्विक शक्तियों द्वारा भारत पर दबाव डाला जाता था। इस बार भारत ने फ्रंट फुट पर खेला और व्यापार घाटे पर भारत की चिंताओं को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया। भारतीय सेवाओं और निवेशों के लिए वैश्विक बाजार खोलने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। भारत के इस रुख से गरीबों के हितों की रक्षा तो होगी ही साथ ही इससे सर्विस सेक्टर को भी फायदा पहुंचेगा।

आरसीईपी समिट में पीएम मोदी ने कहा, 'ऐसे फैसलों में हमारे किसान, व्यापारी, प्रफेशनल्स और उद्योगों की भी बराबर भागीदारी होनी चाहिए। कामगार और ग्राहक दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, जो भारत को एक विशाल बाजार और क्रय शक्ति के मामले में देश को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाते हैं।' पीएम ने कहा, 'आरसीईपी की कल्पना से हजारों साल पहले भारतीय व्यापारियों, उद्यमियों और आम लोगों ने इस क्षेत्र के साथ संपर्क स्थापित किया था। सदियों से इन संबंधों ने हमारी साझा समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।'

पीएम मोदी ने दिया था भरोसा
बैंकॉक यात्रा पर रवाना होने से पहले नरेंद्र मोदी ने कहा था कि RCEP बैठक में भारत इस बात पर गौर करेगा कि क्या व्यापार, सेवाओं और निवेश में उसकी चिंताओं और हितों को पूरी तरह से ध्यान रखा गया है या नहीं। सब ठीक तरह से जानने समझने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा।

उद्योग जगत था चिंतित
उद्योग जगत ने भी इस समझौते को लेकर चिंता जताई थी। उद्योग जगत का कहना था कि आयात शुल्क कम करने या खत्म करने से विदेश से भारी मात्रा में सामान भारत आएगा और इससे देश के घरेलू उद्योगों को काफी नुकसान होगा। अमूल ने भी डेयरी उद्योग को लेकर चिंता जाहिर की थी।

क्या है RCEP
आरसीईपी एक ट्रेड अग्रीमेंट है जो सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में सहूलियत प्रदान करता है। अग्रीमेंट के तहत सदस्य देशों को आयात और निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं भरना पड़ता है या बहुत कम भरना पड़ता है। RCEP में 10 आसियान देशों के अलावा भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड के शामिल होने का प्रावधान था, जिसमें से अब भारत ने इसमें से बाहर रहने का फैसला किया है। यह अग्रीमेंट 3.4 लोगों के बीच समझौता है।


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