बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन में आई दरार से चकनाचूर हुए कई नेताओं के सपने


मुंबई  बीजेपी ने  राज्यपाल से मिलकर यह स्वीकार कर लिया कि शिवसेना की मदद के बिना वह राज्य में सरकार नहीं बना सकती। इससे पहले जब शुक्रवार को देवेंद्र फडणवीस अपना इस्तीफा सौंपने राज्यपाल के पास गए थे, उस वक्त उन्होंने यह भरोसा जताया था कि राज्य में नई सरकार बीजेपी के नेतृत्व में ही बनेगी। उनके इस आश्वासन से उन लोगों को उम्मीद की आखिरी किरण दिखी थी, जो लोग दूसरी पार्टियों से अपनी अच्छी भली पोजीशन छोड़कर देवेंद्र फडणवीस के भरोसे पर बीजेपी में शामिल हो गए थे। लेकिन अब जब न तो बीजेपी की सरकार बनने का कोई चांस दिखाई दे रहा है और न फडणवीस के फिर से मुख्यमंत्री बनने की कोई आस शेष रह गई है, ऐसे में दूसरी पार्टियों से बीजेपी में आए नेता खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।


बीजेपी और शिवसेना के बीच संबंधों के बिगड़ने से सबसे ज्यादा परेशान वे हैं, जो बेचारे चुनाव से ठीक पहले ये सोचकर बीजेपी में आ गए थे कि बस अब तो बीजेपी ही बीजेपी है। बीजेपी ने भी चुनाव से पहले कई बार मेगा भर्ती कर ली। सबको रेवड़ी बांटने का आश्वासन खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिया था।  राज्यपाल से मिलकर यह स्वीकार कर लिया कि शिवसेना की मदद के बिना वह राज्य में सरकार नहीं बना सकती। इससे पहले जब शुक्रवार को देवेंद्र फडणवीस अपना इस्तीफा सौंपने राज्यपाल के पास गए थे, उस वक्त उन्होंने यह भरोसा


गणेश नाईक का क्या होगा?
दरअसल सबसे बड़ी परेशानी तो मुंबई से सटे नवी मुंबई के गणेश नाईक परिवार की है। वे तो पूरा कुनबा और महानगर पालिका ही लेकर बीजेपी में आ गए थे। चुनाव जीतने के बाद राज्य में मलाईदार मंत्रालय मिलने की उम्मीद लगाए बैठे गणेश नाईक अब ताजा हालात में खुद को भगवान भरोसे पा रहे हैं।

विखे का ख्वाब भी अधूरा
यहां तक कि कांग्रेस में नेता विपक्ष का पद छोड़कर बीजेपी में मंत्री बने राधाकृष्ण विखे पाटील भी इस बात को लेकर परेशान हैं कि अगर फडणवीस चले गए, तो बीजेपी में कोई उनको पहचानेगा भी नहीं।
जताया था कि राज्य में नई सरकार बीजेपी के नेतृत्व में ही बनेगी। उनके इस आश्वासन से उन लोगों को उम्मीद की आखिरी किरण दिखी थी, जो लोग दूसरी पार्टियों से अपनी अच्छी भली पोजीशन छोड़कर देवेंद्र फडणवीस के भरोसे पर बीजेपी में शामिल हो गए थे। लेकिन अब जब न तो बीजेपी की सरकार बनने का कोई चांस दिखाई दे रहा है और न फडणवीस के फिर से मुख्यमंत्री बनने की कोई आस शेष रह गई है, ऐसे में दूसरी पार्टियों से बीजेपी में आए नेता खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।


कृपाशंकर पर कौन करेगा कृपा
मुंबई के जाने-माने और अनुभवी समझे जाने वाले बड़े उत्तरभारतीय नेता कृपाशंकर सिंह की हालत भी ऐसी ही है। कृपाशंकर सिंह देवेंद्र फडणवीस से नजदीकी रिश्तों की पूंछ पकड़कर, धारा 370 के मुद्दे पर कांग्रेस का विरोध कर अघोषित बीजेपीई हो गए थे। चुनाव में उन्होंने बीजेपी उम्मीदवारों के लिए फ्रीलांस प्रचारक के तौर पर खूब मेहनत की, लेकिन अब उनको लग रहा है कि अगर वे कांग्रेस में रहते और कलीना सीट से चुनाव लड़ गए होते तो कम से कम विधायक तो रहते। सिर्फ कृपाशंकर सिंह ही नहीं, मुंबई में बीजेपी में गए राजहंस सिंह, चित्रसेन सिंह, रमेश सिंह ठाकुर, जयप्रकाश सिंह सब परेशान हैं कि अब कहां जाएं? अगर फडणवीस ही मुख्यमंत्री नहीं बने, तो उनसे किया गया वादा कौन निभाएगा?


हर्षवर्धन का हर्ष गायब
चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए महाराष्ट्र के वरिषठ नेता हर्षवर्धन पाटील भी परेशान हैं। वह चुनाव से ठीक पहले इस आस में बीजेपी में आए कि मंत्री बनेंगे, लेकिन उनकी हालत ऐसी है कि इंदापुर से चुनाव हार गए और अब बीजेपी उनको एमएलसी तक नहीं बनाएगी, जबकि कांग्रेस में रहते तो चुनाव जीत सकते थे और विधानसभा में पार्टी का बड़ा नेता या प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी कर सकते थे।

मोहिते पाटील भी हैरान
शरद पवार के खासमखास राकांपा से बीजेपी में शामिल हुए अकलूज के दिग्गज रंजीत सिंह मोहिते पाटील चाह रहे थे कि विधानसभा के बाद उनका पुनर्वास हो जाए। पहले तो विधानसभा या लोकसभा का टिकट तक उनके परिवार को नहीं मिला और अब तो उनको एमएलसी मिलने का भी भरोसा नहीं, मंत्री पद तो दूर की बात है। ऊपर से शरद पवार से दुश्मनी हो गई है, सो अलग।

सातारा का सितारा कब चमकेगा
सातारा के महाराज का तो सितारा ही डूब गया है। वह समझे थे कि बीजेपी से लोकसभा जीतेंगे तो सीधे केंद्र में मंत्री बनेंगे और सबसे बड़े मराठा लीडर कहलाएंगे, लेकिन एनसीपी की सांसदी भी गई और अब बीजेपी उनको कुछ देने की हालत में भी नहीं है।