नई दिल्ली
नोटबंदी के तीन साल पूरे होने पर आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि 2,000 रुपये के नोट को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट की जगह लाए गए 2,000 रुपये के नोट की जमाखोरी की जा रही है और इसे बंद कर देना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन साल पहले आज ही के दिन 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट को बंद करने की घोषणा की थी। इसका मकसद काले धन पर अंकुश लगाना , डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और देश को लेस - कैश अर्थव्यवस्था बनाना था।
2,000 रुपये के नोटों की जमाखोरी हो रही है
पूर्व आर्थिक सचिव गर्ग ने एक नोट में कहा , ' वित्तीय प्रणाली में अब भी काफी मात्रा में नकदी है। 2,000 रुपये के नोटों की जमाखोरी इसका सबूत है। पूरी दुनिया में डिजिटल भुगतान का विस्तार हो रहा है। भारत में भी ऐसा ही हो रहा है। हालांकि विस्तार की रफ्तार धीमी है। ' वित्त मंत्रालय से ट्रांसफर के बाद गर्ग ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली थी।
चलन मुद्रा में 2,000 रुपये के नोट की एक तिहाई हिस्सेदारी
गर्ग ने कहा कि मूल्य के आधार पर चलन में मौजूद मुद्रा में 2,000 रुपये के नोट की एक तिहाई हिस्सेदारी है। उन्होंने दो हजार रुपये के नोट को बंद करने या चलन से वापस लेने की वकालत करते हुए कहा , 'वास्तव में 2,000 रुपये के नोटों का एक अच्छा - खासा हिस्सा चलन में नहीं है। इनकी जमाखोरी हो रही है। इसलिए मुद्रा के लेनदेन में 2,000 रुपये के नोट ज्यादा नहीं दिखते हैं।'
85 फीसदी लेनदेन अभी भी नकद
गर्ग ने कहा , 'बिना किसी दिक्कत के इन नोटों को बंद किया जा सकता है। इसका एक आसान तरीका है कि इन नोटों को बैंक खातों में जमा कर दिया जाए। इसका उपयोग प्रक्रिया के प्रबंधन में किया जा सकता है। ' आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव ने कहा , 'भुगतान करने के बेहद सुविधाजनक डिजिटल मोड तेजी से नकदी की जगह ले रहे हैं। हालांकि भारत को इस दिशा में अभी लंबी दूरी तय करना है क्योंकि देश में 85 प्रतिशत से अधिक लेनदेन में अभी भी नकदी की मौजूदगी है।