पाकिस्तान में नहीं बेटियों को आजादी, भारत की नागरिकता मिलने पर दो बहनें बोलीं- लगा, पुनर्जन्म हुआ


जयपुर. पाकिस्तान से विस्थापित एक मासूम बच्ची सहित 21 लोगों को बुधवार को जयपुर में भारतीय नागरिकता प्रदान की गई। सालों से नागरिकता का सपना संजोए इन परिवारों की खुशी ऐसी कि किसी की आंखों से आंसू छलक पड़े तो कोई एक दूसरे के गले लगकर भावुक हो गया तो कोई बेटी को नागरिकता मिलने की खुशी में उसे दुलार करने लगा।


हर जुबां पर एक ही बात थी कि उन्हें अब पाकिस्तान से मिली आजादी के मायने महसूस हुए हैं। इसी से उल्लासित होकर भारत माता की जय और वंदेमातरम के नारे लगाने लगे। जयपुर जिला कलेक्ट्रेट के सभागार में संभागीय आयुक्त केसी वर्मा और जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने इन 21 पाक विस्थापितों को भारतीय गणतंत्र की नागरिकता के प्रमाण पत्र प्रदान किए। भास्कर मोबाइल एप के रिपोर्टर की भारतीय नागरिकता पाने वाले विस्थापितों से बातचीत और जानीं मन की बात:


पाकिस्तान में बेटियों को नहीं आजादी, बंदिशें ज्यादा, आज लगा मानों पुर्नजन्म हुआ है
पाकिस्तान की रहने वाली दो बहनें निर्मला और चंद्रा। ये दोनों वर्ष 2000 में पाकिस्तान से टूरिस्ट वीजा पर भारत आई थी। बाकी, परिवार वहीं था। यहां फिलहाल मानसरोवर के अग्रवाल फार्म में रहने वाली चंद्रा ने बताया कि उन्हें कुछ माह पहले ही भारतीय नागरिकता मिली थी। लेकिन उनकी सगी बहन निर्मला पर पाकिस्तानी नागरिक की मुहर थी। ऐसे में वे कई वर्षों से भारतीय नागरिकता पाने का प्रयास कर रही थी। बुधवार को जब चंद्रा की बहन निर्मला को नागरिकता का सर्टिफिकेट मिला, तो दोनों बहनें एक दूसरे के गले लगकर भावुक हो गई। चंद्रा ने बताया कि पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों को ज्यादा आजादी नहीं है। ना ही अच्छी पढ़ाई का माहौल है। वे खुलकर जिंदगी नहीं जी सकते। मेडिकल सुविधा भी अच्छी नहीं है। ऐसे में वे बेटियों को अच्छी परवरिश, पढ़ाई के लिए भारत आई। वहीं, बुधवार को नागरिकता पाने वाली निर्मला ने कहा कि आज यूं लग रहा है मानों पुनर्जन्म हुआ हो।


11 साल की बेटी को भारतीय नागरिकता मिली तो माता-पिता ने गोद में लेकर किया लाड़
पाकिस्तान के ही भीष्म माहेश्वरी अपनी पत्नी व अन्य रिश्तेदारों के साथ करीब 21 साल पहले भारत आ गए थे। यहां करीब पांच साल पहले भीष्म माहेश्वरी व उनकी पत्नी को भारतीय नागरिकता मिल गई। लेकिन, 11 साल की उनकी बेटी प्रियांशी को यह सुविधा नहीं मिली। इसके लिए वर्षों से इंतजार कर रहे थे। जयपुर के त्रिवेणी नगर, गोपालपुरा बाईपास पर रहने वाले भीष्म माहेश्वरी की बेटी प्रियांशी को नागरिकता में मिली तो भीष्म और उनकी पत्नी भावुक हो गए। बेटी को गोद में उठा लिया और लाड़ करने लगे। उनकी यह खुशी को देखकर हर कोई खुश था।


एक ही परिवार के पांच सदस्यों को नागरिकता मिली तो झूमकर नाच उठे
बुधवार को नागरिकता पाने वालों में सावलदास, उनकी पत्नी सोनिया, छोटा भाई नरेश और सांवलदास के दो चचेरे भाई भागचंद व विजय कुमार भी थे। ये लोग 18 साल पहले पाकिस्तान में खैरपुर मीरस सिंध से भारत आए थे। यहां जयपुर में आकर पेट पालने के लिए शहर में रेडीमेड की दुकानों पर नौकरी की। वे कई सालों से भारत की नागरिकता लेने का सपना संजोए बैठे थे।


बुधवार को जब संभाय आयुक्त व जिला कलेक्टर जगरूप यादव ने सांवरदास व उनकी पत्नी सहित तीनों भाईयों को नागरिकता का सर्टिफिकेट दिया तो पूरा परिवार खुशी से झूमकर नाचने लगा। सांवलदास ने कहा कि पाकिस्तान में हालत अच्छे नहीं है। वे अब अपने परिवार को भी ले आएंगे। नागरिकता पाने से पहले ही उनकी पत्नी सोनिया के कई बार आंसू बहते रहे। फिलहाल जयपुर में रहकर कारोबार कर रहे है। इन परिवारों ने निमित्तेकम संस्था के अध्यक्ष जय आहूजा का भी आभार जताया। इस संस्था की मदद से ही उनका यह सपना साकार हो सका।


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