जयपुर आंखों में आंसू और दिल में खुशी। कभी ईमोशनल हुई तो कभी एक्साइटेड दिखीं। बार-बार पापा का ड्रीम पूरा करने की बात करते हुए प्रोजेक्ट की जानकारी देतीं। ये थीं बॉलीवुड की प्लेबेक सिंगर तुलसी कुमार, जो सोमवार को टी-सीरीज स्टेज वर्क्स एकेडमी के लिए जयपुर में थीं। इस दौरान उन्होंने प्लेबैक सिंगिंग और स्वयं की जर्नी के साथ गुलशन कुमार पर बात की। उन्होंने कहा, पापा का ख्वाब था कि पूरे देश से टैलेंट सामने आए परफॉर्म करें। अब उस ड्रीम को मैं और मम्मी पूरा कर रहे हैं। उनकी हर बात मेरे लिए महत्व रखती है। हम ज्यादा साथ नहीं रह सके।
गानों का रीक्रिएशन बुरी बात नहीं
गानों के रीक्रिएशन का ट्रेंड अच्छा है। ये लोगों को पसंद आ रहे हैं, इसलिए इतने सारे गाने रिक्रिएट हो रहे हैं। जो खूबसूरत गाने हाेते हैं उन्हें ही फिर से बनाया जाता है। हां ये हैंडिल विद केयर होते हैं, उनके फील और मूड को खराब नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, यदि लोग एंटरटेन होते हैं और पुराने गानों को नए फ्लेवर में पसंद करते हैं तो ये होना चाहिए। मेरा साकी-साकी... गाना भी पसंद किया गया। विशाल ददलानी के कमेंट पर कहा, ज्यादा नहीं बोलूंगी। ये उनका पर्सनल कॉल है। किसी को ये पसंद आता है और किसी को नहीं।
आज सिंगर को देना पड़ता है ओवर ऑल पैकेज
प्लेबैक सिंगिंग में आए बदलाव पर कहा, चेंजेज आए हैं। सिंगर सिर्फ एक सिंगर नहीं है परफॉर्मर बन गया है। आज ओवर ऑल पैकेज देना जरूरी है। वर्तमान में टैलेंट बहुत ज्यादा बढ़ गया है। पहले इंडस्ट्री में गिने-चुने सिंगर थे। आज हर किसी के लिए काम है और हर जोन का गाना बन रहा है। ऐसे में अपने आप को चैलेंज करने का मन करता है। मैं भी डांस वीडियाे कर रही हूं। इससे पहले मुझे पता नहीं था, कि मेरे अंदर डांस भी छुपा है।
सोशल मीडिया के पोजिटिव पहलु का रानू मंडल सबसे बड़ा उदाहरण
तुलसी ने कहा, सोशल मीडिया से बहुत ज्यादा टैलेंट सामने आ रहा है। रानू मंडल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जो सोशल मीडिया सेंसेशन हैं। वहीं कुछ लोग इसका दुरुपयोग भी करते हैं। उनके पास कोई काम नहीं होता है और वे सोशल मीडिया पर लोगों को सिर्फ क्रिटिसाइज करते हैं या हर्ट करने वाली बातें करते हैं।