पिछले 30 वर्षों में भाजपा सरकार ने सबसे ज्यादा सरकारी उपक्रमों  को बेचा-सीए विजय गर्ग


जयपुरर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सीए प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सीए विजय गर्ग ने भाजपा की आर्थिक नीतियों के तहत् विनियोग नीतियों पर प्रहार करते हुए कहा कि देश में भाजपा सरकार सरकारी उपक्रमों को बेचकर अपने चहेते उद्योगपति एवं व्यापारी मित्रों को फायदा देना चाहती है एवं लाभ में चलते हुए सरकारी उपक्रमों को बेचकर भाजपा ने यह स्वीकार कर लिया है कि देश में आर्थिक मंदी का माहौल है।


 सीए विजय गर्ग ने बताया कि देश में पार्लियामेंट रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017-18 में 331 केन्द्रीय सरकारी उपक्रम थे जिसमें से 257 उपक्रम कार्यरत थे एवं 74 सरकारी उपक्रम कार्य शुरू करने के प्रोसेस में थे। उन्होंने बताया कि केन्द्र के बजट में कुल खर्चा वर्ष 1991-92 जो 1,13,422 करोड़ रूपये था वह बढकर 2017-18 में 21,46,735 करोड़ रूपये हो गया। भाजपा एवं एनडीए की सरकारों के अलावा कांर्ग्रेस व अन्य दलों की सरकारों ने देश के बजट में खर्चा बढ़ा तो आय बढ़ाने के अन्य साधनों पर ज्यादा फोकस रखा न कि सरकारी उपक्रमों को बेचकर उनसे धन इकट्ठा कर देश के बजट में प्रावधान किया।


 सीए गर्ग ने बताया कि पिछले 30 सालों के अगर सरकारी आंकड़ों को देखें तो लगभग 3,53,577 करोड़ रूपये का विनिवेश सरकारी उपक्रमों के माध्यम से किया गया है जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत भाजपा एवं एनडीए की सरकारों के द्वारा किया गया है जो कि लगभग 2,38,800 करोड़ रूपये से अधिक की राशि है एवं इसमें विशेष बात यह है कि ये सभी सरकारी उपक्रम फायदे में चल रहे थे और केन्द्र सरकार को इनसे आय हो रही थी। इसके बावजूद भी इन लाभ में चलते हुए सरकारी उपक्रमों को अपने चहेतों को फायदा देने के लिये सरकार बेचने की नीति बना रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1999 से 2004 तक की भाजपानीत एनडीए सरकार ने फायदे में चल रहे सरकारी उपक्रम जैसे बालको, हिन्दुस्तान जिंक, आईपीसीएल, बीएसएनएल को बेचा एवं वर्तमान में भाजपा की सरकार भारत पेट्रोलियम, कन्टेनर कॉरपोरेशन, नॉर्थ ईस्टर्न, थैरी हाईड्रो एवं शिपिंग कॉरपोरेशन को बेचने की तैयारी कर रही है जो कि लाभ में है।


 सीए गर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस या अन्य सरकारों ने सरकारी उपक्रमों में विनिवेश की नीति भी बनाई तो 100 प्रतिशत विनिवेश नहीं किया, कुछ पार्ट ही विनिवेश किया जिसके कारण जब भी उस उपक्रम की सम्पत्ति की मार्केट वेल्यू बढ़ती है तो सरकार को सीधा फायदा पहुॅंचता है एवं इस सीधे फायदे से जनता को प्रत्यक्ष रूप से फायदा होता है, जबकि भाजपा एवं एनडीए की सरकारों ने सरकारी उपक्रमों का 100 प्रतिशत विनिवेश करने की तैयारी कर रखी है जिसके कारण भविष्य में जब भी कभी इनकी सम्पत्ति की मार्केट वेल्यू बढ़ेगी तो इसका फायदा देश को या देश की जनता को नहीं मिलेगा बल्कि भाजपा के चहेते उद्योगपति एवं व्यापारियों को मिलेगा, इस कारण भाजपा का विनिवेश नीति में छुपे हुए एजेण्डे जगजाहिर होते हैं।


 उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 से 2018 भाजपा एवं एनडीए की सरकार ने लगभग 1,94,600 करोड़ रूपये से अधिक राशि का विनिवेश किया है एवं सबसे ज्यादा फायदा देने वाले सरकारी उपक्रम जैसे ओएनजीसी, एचपीसीएल आदि में अधिकांश हिस्से का विनिवेश किया है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दशकों से राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश ने जो प्रगति की उस कारण अधिकांश सरकारी उपक्रम अन्य प्राइेवेट सेक्टर के उद्योगों के मुकाबले में लाभ में रहे और यह लाभ लागतार बढ़ता जा रहा था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015-2016 में 257 सरकारी उपक्रमों का लाभ 1,14,200 करोड़ रूपये से अधिक था जो कि वर्ष 2016-2017 में बढकर 1,27,600 करोड़ रूपये से अधिक हो गया एवं इसी तरीके से जिन सरकारी उपक्रमों में वर्ष 2015-2016 में 30,750 करोड़ रूपये से अधिक का नुकसान था वह घटकर वर्ष 2016-2017 में 25,045 करोड़ रूपये का रह गया। इस प्रकार उपरोक्त सरकारी आंकड़े यह साबित करते हैं कि सरकारी उपक्रमों के रिजल्ट अच्छे आ रहे हैं एवं इनसे सीधा सरकार को एवं देश की जनता को फायदा पहुॅंच रहा है उसके बावजूद भी भाजपा सरकार की आर्थिक नीतियां एवं अपने छुपे हुए एजेण्डों के चलते इन सरकारी उपक्रमों को बेचना चाहती है।