सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिरी नहीं, जानिए क्या है और विकल्प


नई दिल्ली अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को आयोध्या भूमि विवाद पर अपने फैसले में कहा कि हिंदुओं की इस बात का स्पष्ट सबूत हैं कि हिंदू मान्यता के अनुसार राम का जन्म विवादित स्थान पर हुआ था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए और तीन महीने के अंदर इसका नियम बनाए और साथ ही मस्जिद के लिए अयोध्या में ही कहीं पांच एकड़ जमीन दी जाएगी। वैसे तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिरी फैसला होता है, लेकिन इसके बावजूद फैसले से असंतुष्ट पक्ष के पास दो कानूनी ऑप्शन बचते हैं।


सुप्रीम कोर्ट का फैसला वैसे तो आखिरी फैसला होता है और इसके बाद कोई अपील नहीं होती, लेकिन इसके बाद दो कानूनी विकल्प होते हैं। असंतुष्ट पक्ष इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में ही पुनर्विचार याचिका दर्ज कर सकता है और इसके खारिज होने पर क्यूरेटिव याचिका भी दाखिल की जा सकती है। हालांकि इन दोनों ही ऑप्शन के अपने कुछ तय नियम भी हैं।


नियम के मुताबिक किसी भी फैसले के खिलाफ 30 दिन के भीतर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है। याचिका पर वही पीठ विचार करती है जिसने फैसला दिया होता है। इसके अलावा पुनर्विचार याचिका में ये साबित करना होता है कि फैसले में साफ तौर पर गलतियां हैं। पुनर्विचार याचिका पर सामान्य तौर पर खुली अदालत में सुनवाई नहीं होती। उस पर फैसला सुनाने वाली पीठ के न्यायाधीश चेंबर में सर्कुलेशन के जरिए सुनवाई करनी होती है। वहां वकीलों की दलीलें नहीं होतीं, सिर्फ केस की फाइलें और रिकॉर्ड्स होते हैं जिस पर विचार किया जाता है।


क्यूरेटिव याचिका दाखिल करना आसान नहीं


पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद 30 दिन के भीतर क्यूरेटिव याचिका दाखिल की जा सकती है। क्यूरेटिव याचिका का सिद्धांत सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल 2002 को अशोका रूपा हुर्रा मामले में तय कर दिया था। क्यूरेटिव याचिका के नियम काफी सख्त हैं। सामान्य तौर पर क्यूरेटिव याचिका पर भी सुनवाई न्यायाधीश सर्कुलेशन के जरिए चेंबर में ही करते हैं। क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई करने वाली पीठ में तीन वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं और बाकी फैसला देने वाले न्यायाधीश होते हैं। मसलन, अगर दो न्यायाधीशों का फैसला है तो उस मामले में क्यूरेटिव याचिका पर तीन वरिष्ठतम न्यायाधीश और दो फैसला देने वाले न्यायाधीश समेत कुल पांच न्यायाधीश सुनवाई करेंगे। क्यूरेटिव दाखिल करने के लिए वरिष्ठ वकील का सर्टिफिकेट लगता है जो कि ये कहता है कि ये मामला क्यूरेटिव याचिका के लिए कानूनी रूप से अहम है। क्यूरेटिव याचिका में कोर्ट केस के तथ्यों पर विचार नहीं करता, उसमें सिर्फ कानूनी प्रश्न पर ही विचार होता है।