20 हजार करोड़ का बजट, क्‍यों साफ नहीं हो रही गंगा


कानपुर
वर्ष 2014 में मां गंगा की सफाई का वादा कर सत्‍ता में आने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कानपुर में नैशनल गंगा काउंसिल की पहली बैठक में हिस्‍सा लिया। बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने नाव में बैठकर सीसामऊ नाले का सच देखा। केंद्र सरकार ने गंगा की सफाई के लिए वर्ष 2020 की समयसीमा तय की है और 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया है। केंद्र सरकार के इस नमामि गंगे अभियान के बाद भी यह पवित्र नदी अभी भी अपने अस्तित्‍व के लिए लड़ाई लड़ रही है। आइए जानते हैं कि क्‍यों तमाम सरकारी प्रयास के बाद भी गंगा अभी भी मैली है......


गंगा सफाई के लिए लंबे समय से काम करने वाले आईआईटी कानपुर के प्रफेसर विनोद तारे ने कहा कि केंद्र के भारी भरकम बजट और नमामि गंगे अभियान के बाद गंगा अभी भी मैली है। उन्‍होंने कहा कि सरकार एसटीपी बनाकर गंगा के पानी को साफ करना चाहती है लेकिन गंगा की सहायक नदियों की गंदगी को दूर करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है।


छोटी नदियों और नालों को पहले करना होगा साफ'
प्रफेसर तारे ने कहा, 'हम अभी गंगा में गिरने वाली छोटी-छोटी नदियों और नालों को प्रदूषण मुक्‍त नहीं कर रहे हैं। हमें पहले इन छोटी नदियों और नालों की सफाई पर काम करना होगा। हम अगर ऐसा करने में सफल हो गए तो गंगा अपने आप साफ हो जाएगी।' उन्‍होंने कहा कि कानपुर के सीसामऊ नाले को बंद करने से समस्‍या का समाधान नहीं होगा। हमें गंगा की गंदगी को दूर करने के लिए ठोस प्रयास करना होगा।


उन्‍होंने कहा कि अभी गंगा की सफाई के लिए कई प्रॉजेक्‍ट शुरू भी नहीं हुआ है। सरकार ने 20 हजार करोड़ का वादा किया है लेकिन अभी बहुत कम पैसा खर्च किया गया है। सरकार के इन प्रॉजेक्‍ट से गंगा के प्रदूषण में थोड़ी कमी आएगी लेकिन इनसे गंगा साफ नहीं होगी। हमें गंगा में गिरने वाली नदियों को पहले साफ करना होगा। जैसे वाराणसी में असि और वरुणा नदी को छिपा देने या उनको बंद करने से गंगा साफ नहीं होगी। प्रफेसर तारे ने कहा कि अलग-अलग जगह पर एसटीपी बन रहे हैं। इससे गंगा में गंदगी में कमी आएगी लेकिन गंगा पूरी तरह से साफ नहीं होगी।

'केवल पैसा खर्च करने से नहीं साफ होगी गंगा'
आईआईटी बीएचयू में प्रफेसर और गंगा सफाई के लिए अभियान चलाने वाले विश्‍वंभर नाथ मिश्र ने कहा, 'राजीव गांधी ने 1986 में गंगा की सफाई का काम बनारस में शुरू किया था। इसके बाद भी गंगा साफ नहीं हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2014 ने वादा किया था कि गंगा को साफ किया जाएगा। करीब 6 साल बीत जाने के बाद भी 350 एमएलडी नाले का पानी सीधे गंगा में जा रहा है।' उन्‍होंने कहा कि सरकारी वादे हवा हवाई साबित हो रहे हैं और गंगा के पानी में ज्‍यादा बदलाव नहीं आया है।


संकट मोचन मंदिर के महंत प्रफेसर मिश्र ने कहा कि जो 120 और 140 एमएलडी का नया एसटीपी वाराणसी में लगाया है, वह पुरानी तकनीक पर है जो बैक्टिरिया को खत्‍म नहीं कर पा रहा है। इसके अलावा नालों का गंगा में गिरना जारी है। उन्‍होंने कहा कि गंगा को साफ करने के लिए जरूरी है कि गंगा में नाले का पानी न जाए, गंदे पानी का दूसरी जगह डायवर्जन किया जाए। साथ ही सीवेज के पानी इस तरह से ट्रीट किया जाए ताकि सारे बैक्टिरिया मर जाए और इस पानी को ज्‍यादा से ज्‍यादा र‍ियूज किया जाए। इससे बेहद कम पानी गंगा में गिराना पड़ेगा। उन्‍होंने कहा कि केवल एसटीपी पर इस तरह से पैसा खर्च करने मात्र से गंगा साफ नहीं होगी।

'20 हजार करोड़ रुपये का केवल 25 प्रतिशत ही खर्च'
बता दें कि क्‍लीन गंगा मिशन के तहत सरकार ने वर्ष 2020 तक गंगा को साफ करने का वादा किया है और इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 4 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक क्‍लीन गंगा मिशन के 20 हजार करोड़ रुपये का केवल 25 प्रतिशत हिस्‍सा ही खर्च हुआ है। वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत 96 एसटीपी की अनुमति दी गई थी जिसमें से अक्‍टूबर 2018 तक केवल 24 प्रतिशत ही पूरे हुए। 29 प्रॉजेक्‍ट पर कोई काम शुरू नहीं हुआ।