बीजेपी, आजसू साथ मिलकर लड़ते तो पहुंच सकते थे बहुमत के करीब, जेएमएम-कांग्रेस को लगता झटका


नई दिल्ली
झारखंड विधानसभा चुनाव में यदि बीजेपी और आजसू मिलकर लड़ते तो वे 81 सीटों वाले राज्य में 40 पर जीत हासिल कर सकते थे। यह आंकड़ा बीजेपी के लिए सत्ता तक पहुंचने का रास्ता हो सकता था। यही नहीं यदि दोनों दलों के बीच गठबंधन होता तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाला गठबंधन भी 34 सीटों पर ही सिमट जाता। सूबे की हर सीट पर वोट शेयर के डेटा का विश्लेषण करने पर यह बात सामने आई है।

बीजेपी और आजसू के वोट शेयर को मिला लें तो दोनों दलों ने 41.5 पर्सेंट वोट हासिल किए, जबकि जेएमएम गठबंधन को महज 35.4 प्रतिशत वोट ही मिले। वोट प्रतिशत में इस अंतर से साफ है कि अगर बीजेपी और आजसू साथ मिलकर लड़ते तो तस्वीर कुछ और होती। इससे बीजेपी और आजसू दोनों के लिए ही सीटों में इजाफा होता।

साथ लड़ते तो बीजेपी को मिलतीं 9 और सीटें
दोनों दलों के साथ उतरने पर बीजेपी 9 सीटें और अधिक जीतती, जबकि आजसू के खाते में भी 4 सीटें और आ सकती थी। इस तरह यह आंकड़ा 34 और 6 का होता और दोनों मिलाकर 40 सीट जीतते हुए बहुमत के करीब पहुंच सकते थे।

...तो JMM-कांग्रेस को मिलतीं कम सीटें

यही नहीं दोनों दलों के साथ आने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा को 9 सीटें कम मिलतीं, जबकि कांग्रेस को भी 4 सीटें और कम मिलतीं। इस तरह दोनों दल 30 और 16 सीटों की बजाय 21 और 12 पर ही ठहर सकते थे। हालांकि बाबूलाल मरांडी की जेवीएम, एनसीपी, सीपीआई (एमएल) और निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई सीटों में कोई फर्क नहीं पड़ता।

आजसू, बीजेपी केमिस्ट्री दिखती तो बदलता गणित

हालांकि यह पूरी तरह से गणित ही है और राजनीति अकसर केमिस्ट्री पर चलती है, जो बीजेपी और आजसू के बीच नहीं दिखी। बता दें कि पिछली बार दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था और सत्ता में भी साझीदार रहे थे, लेकिन इस बार दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर मतभेद उभरे और फिर राह अलग हो गई।