डोकलाम के बाद सेना के कामकाज में बदलाव, अब मिलेगा एक और डेप्युटी चीफ


नई दिल्ली
भारतीय सेना के ढांचे में बड़े बदलाव की प्रक्रिया चल रही है और शुरुआत मुख्यालय में बदलाव से हो रही है। आर्मी हेडक्वॉर्टर में बदलाव का एक अहम बिंदु है, सेना में एक और डेप्युटी चीफ का पद बनाना। आर्मी हेडक्वॉर्टर में अभी दो डेप्युटी चीफ के पद हैं, लेकिन एक और डेप्युटी चीफ की जरूरत डोकलाम विवाद के बाद महसूस की गई। रक्षा मंत्रालय से इस पर सैद्धांतिक सहमति मिल गई है।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक नए डेप्युटी चीफ का पद बनाने के लिए अपॉइंटमेंट कमिटी ऑफ द कैबिनेट यानी एसीसी की मंजूरी की जरूरत पड़ेगी और आर्मी हेडक्वॉर्टर में अहम बदलावों की प्रक्रिया एसीसी की हरी झंडी के इंतजार में रुकी है।


2017 में डोकलाम में 72 दिनों तक भारत और चीन के सैनिक आमने सामने थे। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि उसका जब रिव्यू किया गया तो एक नया सिस्टम बनाने की जरूरत महसूस हुई। मौजूदा सिस्टम में आर्मी के ढांचे में एक महकमा इंटेलिजेंस की जिम्मेदारी देखता है, दूसरा लॉजिस्टिक की तो एक अलग महकमा ऑपरेशंस की। आर्मी के वाइस चीफ के अंडर ये सब काम करते हैं।

डोकलाम विवाद के बाद बनी है नई रणनीति

डोकलाम विवाद हुआ तो एक अस्थाई समिति बनी, जिसमें इन सब अलग-अलग महकमे के प्रमुखों ने साथ आकर रणनीति बनाई। उस दौरान महसूस किया गया कि एक ऐसा परमानेंट स्ट्रक्चर होना चाहिए जिसमें ऑपरेशंस, इंटेलिजेंस, पर्सपेक्टिव प्लानिंग सब एक ही हेड के अंडर आएं ताकि इमरजेंसी में कोई अस्थाई इंतजाम ना करना पड़े और फैसले लेने में तेजी आए।

सेना को मिलेगा डेप्युटी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ

आर्मी हेडक्वॉर्टर में बदलाव के बाद आर्मी को एक नया डेप्युटी चीफ भी मिलेगा, जिसे डेप्युटी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटजी) का नाम दिया गया है। इनके तहत डीजीएमओ, डीजीएमआई, डीजीपीपी (इसका नाम बदलकर स्ट्रैटजिक प्लानिंग हो जाएगा), डीजी लॉजिस्टिक और डीजी इंफॉर्मेंशन वॉरफेयर आएंगे। किसी भी ऑपरेशन या इमरजेंसी सिचुएशन में रणनीति बनाने में इनका अहम रोल होता है। इसके अलावा भी कई बदलाव होने हैं। रक्षा मंत्रालय कुछ बदलावों को सहमति दे चुका है, लेकिन कोई भी बदलाव तब तक लागू नहीं हो पाएंगे, जब तक सारे बदलावों पर सहमति नहीं मिल जाती क्योंकि यह सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

सेना मुख्यालय में अब 106 अफसर होंगे कम

आर्मी हेडक्वॉर्टर में कई बदलावों के तहत मुख्यालय में अब 106 ऑफिसर कम होंगे और यह फील्ड में उपलब्ध होंगे। एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक जो भी बदलाव होने हैं वह रेवेन्यू न्यूट्रल और लेफ्टिनंट जनरल न्यूट्रल हैं। यानी न तो इन बदलावों से रेवेन्यू पर कोई फर्क पड़ेगा न ही आर्मी में लेफ्टिनंट जनरल के ज्यादा पद बनेंगे और न ही कम होंगे।