जयपुर / एक घर, 10 लोग और 2 घंटे पैंथर की दहशत; दादा बाथरूम में बंद रहे तो बेटा-बहू और बच्चे कमरों में कैद


जयपुर.  शहर में गुरुवार शाम 4 बजे शुरू हुई पैंथर की दहशत 21 घंटे बाद शु्क्रवार दोपहर को खत्म हो गई। करीब 12:30 बजे वन विभाग की टीम ने पैंथर को ट्रेक्यूलाइज कर पकड़ा। पैंथर सुबह 10:30 बजे टोंक रोड पर ग्रेटर कैलाश कॉलोनी में रहने वाले डॉ. रामजीलाल कुमावत (70) के घर में घुस गया। उस वक्त घर में रामजीलाल, उनकी पत्नी मनोरमा और बेटे-बहू पोते समेत करीब 10 लोग मौजूद थे।


पैंथर की दहशत में पूरा परिवार दो घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान घर में ही बंधक बना रहा। इनमें बुजुर्ग रामजीलाल ग्राउंड फ्लोर पर बने बाथरूम में बंद रहे। उनकी पत्नी और घरेलू नौकरानी कमरे में बंद रहीं। वहीं, बेटा चितरंजन-बहू उर्मिला, दोनों पोते तरुण और कुशल घर की पहली मंजिल पर बने दो कमरों में बंद रहे।


इस बीच घर की सीढ़ियों में फंसे पैंथर ने कई बार दहाड़ भी लगाई। इससे उनकी सांसें ऊपर नीचे होती रहीं। बाद में जब पहली मंजिल की सीढ़ियों में दुबके पैंथर को पकड़कर पिंजरे में डाला गया। तब पूरा परिवार घर से बाहर आया। वे सभी खुश तो थे, लेकिन दो घंटे पैंथर की दहशत उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी।जानिए, दहशत की कहानी उन्हीं की जुबानी...


करीब 30 मिनट तक बाथरूम में बंद रहा: रामजीलाल कुमावत
मैं 10:30 बजे बाथरूम में नहा रहा था। तब मैंने अचानक गुर्राहट और दहाड़ने की आवाज सुनी। बाथरूम की खिड़की से देखा तो पैंथर नजर आया। मैं यह देखकर घबरा गया। पैंथर तेजी से छलांग लगाते हुए एक टीन शेड पर चढ़ा और पहली मंजिल पर बने कमरे की रेलिंग को पकड़कर बालकनी में चला गया। इसके बाद मैं देख नहीं सका। क्योंकि डर गया था। दहशत ऐसी की मैं नहा भी नहीं सका। करीब आधा घंटे तक बाथरूम में बंद रहा। जब रेस्क्यू टीम पहुंची। तब मुझे बाहर निकाला।


कभी छत पर तो कभी कमरे में चला गया पैंथर: मनोरमा देवी
मैं कमरे में बैठी थी। तभी हल्ला सुनाई दिया। पड़ोस के मकान से होकर पैंथर उनके घर में घुस गया। वह बालकनी में रखे कूलर के नीचे छिपकर बैठा। फिर छत पर चढ़ गया। रूम में बैठ गया। सीढ़ियों में चक्कर लगाए। इससे दहशत फैल गई। तब हंगामा होने पर उन्हें घर के कमरों के दरवाजे बंद कर अंदर रहने के लिए कहा गया। वे अंदर ही रही। रेस्क्यू टीम के आने के बाद थोड़ी उम्मीद जागी। वरना तो पैंथर को देखकर ही डर गए।



कांच पर पंजों के निशान देख झांका तो नजर आया पैंथर: रामजीलाल की बहू 
रामजीलाल की बहू उर्मिला वर्मा कोरियोग्राफर है। वे बोलीं-मैं पहली मंजिल पर डांस सिखाती हूं। वे रसोईघर में मौजूद थी। तभी बाहर गुर्राहट की आवाज आई। आकर देखा तो हॉल में लगे कांच पर पंजों के निशान नजर आए। पहले लगा कि पालतू डॉग के निशान हैं। तभी पर्दा हटाकर सीढ़ियों की तरफ देखा तो पैंथर नजर आया। यह देखकर मैं घबरा गई। तुरंत हॉल और सीढ़ियों के बीच लगे दरवाजे को बंद किया। फिर दूसरे कमरे में मौजूद दोनों बेटों को चिल्लाते हुए कहा कि पैंथर आ गया। उन्हें घर के बाहरी हिस्से को देखते हुए दूसरे कमरे में छिपा दिया। खुद भी अपनी स्टूडेंट्स के साथ कमरे में बंद रहीं।


मम्मी पापा को कहा कि सब अंदर बंद रहना: चितरंजन
रामजीलाल के बेटे चितरंजन ने बताया- मैं सुबह 7 बजे चाय पी रहा था। तभी कॉलोनी में पैंथर के आने की चर्चा सुनी थी। सुबह न्यूज पेपर पढ़ा तब पता चला कि पैंथर एसएमएस स्कूल में आ गया। सुबह चाय पीकर छत पर गया। तब पड़ोसी का फोन आया कि दरवाजे वगैरह बंद कर लो। कॉलोनी में पैंथर घुस गया। उसी समय पुलिस भी आ गई थी। जिन्होंने कॉलोनी वासियों को सतर्क कर दिया था। तब हमने दोनों बच्चों को कह दिया कि पहली मंजिल पर सब दरवाजे बंद कर नीचे आ जाओ। हमने दरवाजे बंद कर लिए। इस दौरान पैंथर हमारे घर में घुस गया। पत्नी का शोर सुनकर सब चौकन्ने हो गए। मैंने दूसरे कमरे से आवाज लगाते हुए मम्मी पापा को कहा कि सब अंदर बंद रहना। दरवाजे मत खोलना।


दोस्त ने रात को पैंथर के बारे में बताया था: तरुण
उर्मिला और चितरंजन के बेटे तरुण ने कहा- रात को ही मेरे दोस्त पार्थ ने लालकोठी में आरजे 18 रेस्त्रां में पैंथर के घुसने की बात कही थी। कुछ देर बाद वह घर की छत पर टहलने चला गया। तब खौफ ऐसा था कि लगने लगा कि मानो सचमुच पैंथर आसपास ही घूम रहा है। रात को ही मुझे ऐसा महसूस हुआ कि पैंथर उनके घर के पीछे एक खाली भूखंड में है।


सुबह पैंथर का पंजा देखकर पुलिस को सूचना दी, बोले- कुत्ते का है
वहीं, तरुण के दोस्त पार्थ ने बताया कि आज सुबह एक सूनसान प्लॉट में पैंथर के पंजे के निशान नजर आए थे। तब 100 नंबर पर फोन किया। चेतक पर तैनात पुलिसकर्मी आए तो बोले कि कुत्ते के पंजों के निशान हैं। तब भी मैंने पुलिसकर्मियों को कहा कि साहब आप एक बार चेक करो। लेकिन वे पैंथर वहां होने की बात को नकार गए। आखिरकार, पैंथर वहीं से निकला जहां उसके पंजे नजर आए थे।