नई दिल्ली
नागरिकता कानून के खिलाफ 14 विपक्षी दलों के नेताओं के साथ राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के बाद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार इस ऐक्ट को लागू करने के लिए आम लोगों और विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है, जो सफल नहीं होगी। सोनिया गांधी ने कहा कि हमने राजधानी समेत देश भर में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते पैदा हुई स्थिति में राष्ट्रपति से दखल की अपील की। इन विरोध प्रदर्शनों के और बढ़ने की आशंका है। पुलिस ने जिस तरह से शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ हिंसा की, उससे हमें गहरा दुख पहुंचा है।
सोनिया गांधी ने कहा, 'पुलिस ने जिस तरह से छात्राओं की पिटाई की वह निंदनीय है और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। मोदी सरकार ऐक्ट को लागू करने के लिए लोगों की आवाज को दबाना चाहती है। यह विपक्ष और जनता को स्वीकार नहीं है।' टीएमसी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हमने राष्ट्रपति इस बिल को वापस लेने की अपील की है।
सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि राष्ट्रपति देश के संविधान के कस्टोडियन हैं। हमने उन्हें संवैधानिक उल्लंघन के खिलाफ शिकायत की है और उन्हें आवेदन दिया है कि वह अपनी सलाह दें कि इस कानून को वापस लिया जाए। समाजवादी पार्टी के लीडर रामगोपाल यादव ने कहा कि हमने पहले ही आशंका जताई थी कि इससे देश में अशांति हो सकती है। वही हो रहा है।
रामगोपाल यादव ने कहा कि इस ऐक्ट और एनआरसी ने देश के लोगों में भय पैदा करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि नॉर्थ ईस्ट को सरकार ने पूरी तरह से देश से काट दिया है। पाकिस्तान समेत पड़ोसी देश यही चाहते हैं कि वे हमारे देश को तोड़ें और सरकार उन्हें ऐसा मौका दे रही है।