नागरिकता कानून पर अमित शाह बोले, चाहे जितना राजनीतिक विरोध हो, मोदी सरकार नहीं झुकेगी


नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई इलाकों में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच होम मिनिस्टर अमित शाह ने विपक्षी दलों पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को साफ कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) में कुछ भी गलत नहीं है और कानून को वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता। मुंबई में एक कार्यक्रम में शाह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उनकी पार्टी और सरकार चट्टान की तरह इस कानून के पीछे खड़े हैं। शाह ने दो टूक कहा कि आपको (विपक्षी दलों को) जो राजनीतिक विरोध करना है करो, बीजेपी की मोदी सरकार दृढ़ है। सभी शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी, वे भारत के नागरिक बनेंगे और सम्मान के साथ रहेंगे।


शाह ने कहा कि पूरा विपक्ष ही लोगों के बीच भ्रम फैलाने में जुटा है। इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर से समझाने की कोशिश की है कि नागरिकता कानून का मतलब अल्पसंख्यक वर्ग के किसी भी व्यक्ति से सिटिजनशिप वापस लेना नहीं है। बिल में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है। इस बीच, दिल्ली में जामिया यूनिवर्सिटी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आग सीलमपुर इलाके तक जा पहुंची है।


शाह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ था, जिसका एक हिस्सा एक-दूसरे देश के अल्पसंख्यकों की रक्षा करना था। इस पर बीते 70 सालों से काम नहीं किया गया क्योंकि आप (कांग्रेस) वोट बैंक बनाना चाहते थे। हमारी सरकार ने इस पैक्ट को सही ढंग से लागू किया है और लाखों लोगों को नागरिकता देने का फैसला किया है, जो बीते कई सालों से इंतजार में थे। 

गृह मंत्रालय ने भी एक बार फिर से कहा कि है कि इस ऐक्ट का किसी भी विदेशी को बाहर भेजने से लेना-देना नहीं है। उन्हें बाहर भेजने के लिए पहले से मौजूद प्रक्रिया का ही पालन किया जाएगा। इसके अलावा यह ऐक्ट किसी भारतीय नागरिक पर भी किसी तरह से लागू नहीं होता है। 

राजनाथ सिंह बोले, नफरत नहीं सिखाती भारतीय संस्कृति
गृह मंत्री के अलावा अमेरिका में एक कार्यक्रम में मौजूद डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने भी इस मुद्दे पर भ्रम दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि यह ऐक्ट मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है। राजनाथ सिंह ने कहा, 'हमारी संस्कृति किसी से नफरत करना नहीं सिखाती।' नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता का प्रावधान है।