नागरिकता संशोधन कानून पर चीन बोला, यह भारत का आंतरिक मामला, अल्पसंख्यकों की आबादी घटने पर पाक की सफाई


कोलकाता
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भले ही पाकिस्तान ने आपत्ति जताते हुए इसे मुस्लिमों का उत्पीड़न करार दिया था, लेकिन उसके सदाबहार दोस्त चीन ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया है। कोलकाता में चीन के कौंसुल जनरल झा लियोउ ने कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि यह भारत से जुड़ा मसला है और उसे ही निपटाना है। एक कार्यक्रम से इतर मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए चीनी राजनयिक ने कहा, 'यह भारत का आंतरिक मामला है। हमें इसे लेकर कुछ भी नहीं कहना है। यह आपका देश है और अपने सभी मसले आपको खुद ही निपटाने हैं।'


उन्होंने कहा कि भारत और चीन के रिश्ते शानदार हैं। बीते सप्ताह संसद से पारित हुए इस कानून के विरोध में पूर्वोत्तर और दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर इस ऐक्ट को वापस लेने का आग्रह किया था। बता दें कि इस ऐक्ट में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का शिकार होने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। बीते सप्ताह संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार संस्था ने नागरिकता संशोधन कानून की यह कहते हुए निंदा की थी, यह भेद पैदा करने वाला है।

पाक ने कहा, नहीं घटी हिंदुओं की आबादी

इस बीच पाकिस्तान ने भारत सरकार के उस आरोप को खारिज किया है, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान हिंदुओं समेत तमाम अल्पसंख्यक समुदायों की आबादी में कमी आई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, 'भारत का यह दावा गलत है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 1947 में 23 पर्सेंट थी और अब यह घटकर 3.7 पर्सेंट के करीब आ गई है।'

पाकिस्तान का दावा, आंकड़ा 1947 नहीं 1941 का

पाकिस्तान ने कहा कि दरअसल भारत जिसे 1947 का आंकड़ा बता रहा है, वह 1941 की जनसंख्या का डेटा है। पाक विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस दौरान यह ध्यान रखने की बात है कि 1941 के बाद दो बड़ी घटनाएं हुई थीं। पहली भारत का विभाजन और फिर पाकिस्तान से अलग होकर 1971 में बांग्लादेश का निर्माण होना।