पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बोले, लोकसभा की सीटें 1,000 होनी चाहिए-एक देश, एक चुनाव के फॉर्म्युले पर जताई आपत्ति


नई दिल्ली
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि लोकतंत्र में बहुमत स्थिर सरकार बनाने के लिए मिलता है। पूर्ण बहुमत न मिलना आपको बहुसंख्यकवादी सरकार बनाने से रोकता है। यह संसदीय लोकतंत्र का संदेश है और उसकी आत्मा है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इस संदेश को कभी राजनीतिक प्लेयर्स ने नहीं समझा। इसीलिए हम सोचते हैं कि यदि हम सदन में पूर्ण बहुमत मिल जाए तो फिर हम कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। पूर्व राष्ट्रपति ने दिल्ली में आयोजित दूसरे अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल लेक्चर में यह बात कही।


इसके साथ ही उन्होंने लोकसभा की सीटों की संख्या को बढ़ाकर 1,000 तक करने का भी सुझाव दिया। इसके साथ ही उन्होंने राज्यसभा में भी सीटें बढ़ाए जाने की बात की। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के लिए फिलहाल उनका निर्वाचन क्षेत्र काफी बड़ा होता है और उसे संभालना मुश्किल काम होता है।


प्रणब बोले, लोकसभा की सीटें 1,000 होनी चाहिए
प्रणब दा ने कहा कि आखिरी बार लोकसभा की सीटों की संख्या को 1977 में बढ़ाया गया था। तब 1971 की जनगणना के आधार पर किया गया था, जो उस वक्त 55 करोड़ ही थी। उन्होंने कहा कि देश की आबादी तब से अब तक दोगुनी से ज्यादा हो गई है। ऐसे में अब देश में सीटों के परिसीमन की काफी जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सीटों की संख्या भी बढ़ाकर 1,000 की जानी चाहिए।


आज तक किसी पार्टी को नहीं मिला 50 पर्सेंट से ज्यादा वोट
इस मौके पर प्रणब मुखर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सराहना करते हुए कहा कि वह सबको साथ लेकर चलने वाले नेता थे। उन्होंने कहा कि देश ने 1952 में पहले संसदीय चुनाव से अब तक कई दलों को बहुमत दिया है, लेकिन किसी भी पार्टी को 50 पर्सेंट से ज्यादा वोट नहीं दिए हैं।

एक देश, एक चुनाव के फॉर्म्युले पर जताई आपत्ति

करीब एक घंटे लंबे अपने भाषण में मुखर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी के एक देश, एक चुनाव के फॉर्म्युले से भी असहमति जताई। उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन के जरिए ऐसा किया जा सकता है, लेकिन इस बात की आखिर क्या गारंटी है कि भविष्य में जनप्रतिनिधि सरकार पर अविश्वास नहीं जताएंगे।