सिरोही
देश में महिलाओं के साथ बढ़ती हिंसा पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बेटियों के साथ होने वाली असुरी प्रवृत्ति ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। उद्वेलित राष्ट्रपति ने कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी करार दिए गए अपराधियों के पास दया याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं होना चाहिये। राष्ट्रपति कोविंद शुक्रवार को आबूरोड स्थित ब्रह्मकुमारीज के शांतिवन परिसर में आयोजित महिला सशक्तिकरण से सामाजिक परिवर्तन पर आयोजित नेशनल कंवेशन के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति ने पूरी दुनिया में भारत का गौरव बढ़ाया है। समाज के समग्र विकास के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है। बड़ी संख्या में महिलाएं देश के संसद में अपनी भागीदारी निभा रही है, वहीं दूसरी तरफ देश में महिलाओं के साथ हिंसा बढ़ती जा रही है। बेटियों के साथ होने वाली घटनाओं ने हम सभी को सोचने के लिए विवश कर दिया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में काफी काम हुआ है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। लड़कों में लड़कियों के प्रति सम्मान भाव पैदा करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से माता-पिता की होती है। वे इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। उन्होंने कहा कि नाबालिग के यौन उत्पीड़न मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी करार दिए जाने वाले अपराधियों के पास मर्सी पिटीशन(दया याचिका दायर करने का अधिकार ही नहीं होना चाहिये। इस प्रावधान को समाप्त कर देना चाहिये। इस मामले में संसद को सोचना होगा. क्योकि इसका कानून संसद ही बना सकती है। कार्यक्रम में राष्ट्रपति कोविंद ने संस्थान को महिला रत्न की भी उपाधि भी प्रदान की। संस्थान की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि संस्थान के आठ हजार से अधिक केन्द्र 140 देशों में सक्रिय है।