हैदराबाद
देश में नोटबंदी की पहली घटना साल 1920 में हुई थी, जब हैदराबाद की निजाम सरकार ने 1 रुपये के नोट को वापस लेने का ऐलान किया था। 2020 इस घटना का शताब्दी वर्ष है। बता दें कि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान धातु और खासतौर पर चांदी की भारी कमी हो गई थी। जिसके चलते निजाम ने 1918 में 10 और 100 और 1919 में 1 रुपये के नोट छपवाए थे।
हालांकि 1 रुपये के नोट को कोई लेने वाला नहीं होता था, क्योंकि इसकी 1 रुपये के सिक्के की तुलना में कोई वैल्यू नहीं होती थी। लोग 1 रुपये के सिक्के को इसलिए तरजीह देते थे क्योंकि उसमें चांदी होती थी। एक और वजह थी कि 1 रुपये के नोट को काले रंग में प्रिंट किया गया था, जबकि आम लोग काले रंग को अशुभ मानते थे और इस नोट को लेने से इनकार कर देते थे।
इन्हीं दिक्कतों के चलते एक साल के भीतर ही निजाम ने इस नोट को वापस लेने का फैसला लिया और इस तरह 1920 में पहली नोटबंदी की घटना हुई। वरिष्ठ बैंकर अमरबीर सिंह ने बताया कि अंग्रेजों ने हैदराबाद को खुद के सिक्के चलाने का अधिकार दिया था।
ब्रिटिश सरकार जारी करती थी नोट
बता दें कि 1861 में ब्रिटिश सरकार पेपर करंसी को जारी करने वाली एकमात्र एजेंसी बन गई। जिन प्राइवेट बैंकों के नोट बाजार में चलन में थे, उन्हें वापस लेने का आदेश दिया गया। हैदराबाद के निजाम ने भी जिस 1 रुपये के नोट को मार्केट में उतारा, उसे 1920 में ही वापस लेना पड़ गया। इसके बाद उन्होंने 1926 में 1000 के नोट को चलाया था।