आदिवासियों की 'हिंदू पहचान' को लेकर कैंपेन चलाएगी आरएसएस, कमलनाथ सरकार सतर्क


भोपाल
मध्य प्रदेश में आदिवासियों के धर्म को लेकर कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने हैं। प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने मीडिया के एक हिस्से में चल रही रिपोर्ट्स को लेकर चिंता जाहिर की है जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने साल 2021 की जनगणना में आदिवासियों को हिंदुओं में गिनने की वकालत की है। सीएम ने प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे राज्य में आरएसएस की गतिविधियों पर नजर बनाए रखें।


बता दें कि बीते हफ्ते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत संघ की एक मीटिंग के सिलसिले में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के दौरे पर थे। ये दोनों राज्य आदिवासियों की अच्छी-खासी जनसंख्या वाले इलाके हैं। मध्य प्रदेश में जहां 21 फीसदी आदिवासी जनसंख्या है, वहीं छत्तीसगढ़ में भी तकरीबन 32 फीसदी आदिवासी रहते हैं। प्रदेश के बीजेपी नेता अक्सर आदिवासियों को पहले और मूल रूप से हिंदू बताते हैं।

कांग्रेस पर आरोप
प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता हितेश वाजपेयी का इस संबंध में वक्तव्य है, 'वे लोग (आदिवासी) भारत की धरती पर हजारों साल से हैं। हमारे लिए हिंदुत्व जीने का तरीका (वे ऑफ लाइफ) है और आदिवासी 100 फीसदी हिंदू हैं। अगर उन्हें अलग-थलग किया जाता है तो इस समुदाय के लोग इसाई मिशनरी और धर्मांतरण के आसान शिकार हो सकते हैं।' उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासियों की अलग पहचान रखने की हिमायती कांग्रेस अप्रत्यक्ष रूप से मिशनरियों की मदद कर रही है।

निगरानी के निर्देश
सूत्रों के मुताबिक, इस बीच खबर है कि आरएसएस प्रदेश में एक कैंपेन लॉन्च करने जा रही है जो आदिवासियों को अपनी पहचान हिंदू बताने को लेकर प्रेरित करेगी। इसे संज्ञान में लेते हुए सीएम कमलनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रदेश के 89 आदिवासी ब्लॉक्स में आरएसएस की गतिविधियों पर निगरानी रखी जाए। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग की चेयरपर्सन शोभा ओझा ने कहा कि मुख्यमंत्री किसी को भी आदिवासियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देंगे।