बांग्लादेशियों के बीच कैसे हो असम के स्थानीय मुसलमानों की पहचान? सर्वेक्षण की तैयारी


गुवाहाटी
असम की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत सरकार राज्य में स्थानीय मुसलमानों की पहचान के लिए इस वर्ष मार्च से एक सामाजिक-आर्थिक जनगणना का कार्यक्रम चलाएगी। असम माइनॉरिटीज डिवेलपमेंट बोर्ड चेयरमैन मुमिनुल ऑवल ने कहा कि इस जनगणना का उद्देश्य तत्कालीन पूर्व बंगाल, पूर्वी पाकिस्तान या बांग्लादेश के प्रवासियों से स्वदेशी (स्थानीय) मुसलमानों को अलग करना है।


सर्वेक्षण में मुख्य रूप से गोरिया, मोरिया, देसी और टी ट्राइब जुलाहा कम्युनिटी को शामिल किया जाएगा, जिन्हें सरकार स्वदेशी मानती है। मुमिनुल ऑवल ने हमारे सहयोगी अख़बार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'स्वदेशी मुस्लिम और बांग्लादेशी मुस्लमों के नाम एक जैसे हैं। जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के वक्त सरकार को उनकी पहचान में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दरअसल, हमारी सरकार स्वदेशी मुस्लिमों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, ऐसे में उनकी अलग पहचान होनी चाहिए।'


ऑवल ने कहा कि जनगणना की तैयारी आखिरी चरण में है और उम्मीद है कि यह पूरी प्रक्रिया इस वित्तीय वर्ष में शुरू हो जाएगी। राज्य अल्पसंख्यक विकास विभाग समेत स्वदेशी मुस्लिम समुदायों से ताल्लुक रखने वाले लोगों की एक बैठक 11 फरवरी को बुलाई गई है। इसमें जनगणना के लिए आगे की योजना पर चर्चा की जाएगी।





 



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