बीजेपी अध्यक्ष बनते ही पहले 'टेस्ट' में फेल हुए जे पी नड्डा, दिल्ली में 7 सीटों पर सिमटी पार्टी


नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित कर दिए गए जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) ने एकबार फिर अपनी जीत दोहराई और बीजेपी को 10 फीसदी सीटें जीतकर संतोष करना पड़ा। यह चुनाव न सिर्फ स्थानीय नेताओं बल्कि बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा के लिए भी परीक्षा थी। नड्डा के पूर्ण रूप से अध्यक्ष चुने जाने के बाद किसी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की पहली बड़ी हार है।


नड्डा ने भले ही महज 20 दिन पहले ही इस पदभार को ग्रहण किया हो, लेकिन जुलाई 2019 से ही कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए थे, जो तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह से 'ट्रेनिंग' ले रहे थे। राजनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण राज्य यूपी में 2019 में 62 लोकसभा सीटें दिलाने में नड्डा की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है और इसलिए उन्हें पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। वह यूपी में चुनावी रणनीति का जिम्मा संभाल रहे थे। लेकिन अपना करिश्मा वह दिल्ली चुनाव में नहीं दोहरा पाए। 


वहीं, अगर नड्डा के कार्यकारी अध्यक्ष रहते हुए पार्टी के प्रदर्शन की बात करें तो जुलाई 2019 के बाद तीन राज्यों- महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो उभरी लेकिन सहयोगी शिवसेना के साथ बात न बन पाने पर उसे सत्ता से बाहर रहना पड़ा और शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाई। वहीं, झारखंड में बीजेपी जीत का जादुई आंकड़ा नहीं छू पाई और यहां वह सत्ता से बाहर हो गई, जबकि हरियाणा में भी अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं पहुंच पाई। हालांकि, यहां दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर सत्ता संभाल रही है।


उधर, दिल्ली चुनाव के नतीजे के बाद हार स्वीकार करते हुए नड्डा ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा में रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि बीजेपी दिल्ली की जनता द्वारा दिए गए जनादेश का सम्मान करती है।