नई दिल्ली:
राज्यसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे सवालों का जवाब दिया। पीएम मोदी ने कहा कि सदन में बार-बार बताने की कोशिश की गई कि जो हिंसा हुई वही प्रदर्शन है। यहां बार-बार बताने की कोशिश की गई कि प्रदर्शन के नाम पर जो अराजकता फैलाई गई, जो हिंसा हुई, उसी को आंदोलन का अधिकार मान लिया गया। बार-बार संविधान की दुहाई, उसी के नाम पर गैर संवैधानिक गतिविधि को ढकने का काम किया गया।
पीएम मोदी ने वाम दलों को दिया ये संदेश
पीएम ने कहा कि मैं कांग्रेस की मजबूरी समझता हूं, लेकिन केरल के लेफ्ट फ्रंट के साथियों को समझना चाहिए कि वहां के मुख्यमंत्री ने विधानसभा में स्वीकार किया है कि केरल में जो प्रदर्शन हो रहे हैं उसमें अलगाववादी ताकतें शामिल हैं। यही नहीं उन्होंने सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। ऐसे में मैं पूछना चाहता हूं कि जिस अराजकता से आप केरल में परेशान हैं, उसका समर्थन आप दिल्ली या देश के बाकी हिस्सों में कैसे कर सकते हैं।
जो लोग साइलंट थे, वे इन दिनों वाइलंट हैं'
पीएम ने कहा कि सीएए को लेकर जो कुछ भी कहा जा रहा है, वह जो प्रचारित किया जा रहा है, उसको लेकर सभी साथियों को खुद से सवाल पूछना चाहिए। क्या देश को गलत सूचना देना, गलत राह दिखाने की प्रवृति को हमें रोकना चाहिए या नहीं।
उन्होंने कहा कि ये कैसा दोहरा चरित्र है, आप 24 घंटे अल्पसंख्यकों की दुहाई देते हैं, लेकिन अतीत की गलतियों के चलते पड़ोस में अल्पसंख्यक जो बन गए, उनके साथ जो कुछ हो रहा है उनका दर्द आपको क्यों नहीं हो रही। देश की अपेक्षा है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर डराने के बजाय सही जानकारी दी जाए। हैरानी बात ये है कि विपक्ष के साथी इन दिनों काफी संवेदनशील हैं। जो लोग साइलंट थे, वे इन दिनों वाइलंट हैं। इसके बाद पीएम मोदी ने लाल बहादुर शास्त्री के दो पुराने बयान को दोहराया-:
पहला बयान-:
This house is of opinion that in view of the insecurity of the life, property and honour of the minority communities living in the Eastern wing of Pakistan and genral denial of all human rights to them in that part of pakistan, the government of india should in addition to relaxing restricions in migration of people belonging to the minority communities from east pakistan to indian union also consider steps for enlisting the world opinion.
दूसरा बयान-:
जहां तक ईस्ट पाकिस्तान का तालुल्लक है, उसका ये फैसला मालूम होता है कि वहां से गैर मुस्लिम,जीतने हैं सब निकाल दिए जाएं, वह एक इस्लामिक स्टेट है, एक इस्लामिक स्टेट के नाते, वह यह सोचता है कि यहां केवल इस्लाम को मानने वाले ही रह सकते हैं। गैर इस्लामिक लोग नहीं रह सकते, लिहाजा हिंदू निकाले जा रहे हैं, ईसाई निकाले जा रहे, मैं समझता हूं कि गरीब 37 हजार से ऊपर ईसाई आज वहां से भारत आ गए हैं। बौद्ध धर्म मानने वाले भी वहां से निकाले जा रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि ये बयान पूर्व पीएम शास्त्री ने 3 अप्रैल1964 को दिया था। पंडित नेहरु तब प्रधानमंत्री थे।
इसके बाद पीएम मोदी ने राम मनोहर लोहिया की कही बात को दोहराया, जो इस प्रकार है-:
हिन्दुस्तान का मुस्लमान जीए और पाकिस्तान का हिंदू भी जीए, मैं इस बात का बिल्कुल ठुकराता हूं कि पाकिस्तान के हिंदू पाकिस्तान के नागरिक हैं इसलिए हमें उनकी परवाह नहीं करनी है। पाकिस्तान का हिंदू चाहे कहां का नागरिक हो लेकिन उसकी रक्षा करना हमारा उतना ही र्कत्वय है जितना भारत के हिंदूओं का। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे समाजवादी साथी हमें माने या ना मानें लेकिन लोहिया जी को नहीं नकारें। इसके बाद उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री की ओर से शराणर्थियों पर राज्य सरकार की भूमिका पर दिया गया बयान याद किया जिसमें उन्होंने कहा कि 1964 में तब की सभी राज्यों ने रिफ्यूजी को अपने यहां शरण देने की बात कही थी।