दिल्ली हिंसा में मारे गए जवान रतनलाल का अंतिम संस्कार, सात साल के बेटे ने दी मुखाग्नि


सीकर.  दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल का बुधवार को राजस्थान के सीकर जिले में स्थित उनके पैतृक गांव तिहावली में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके सात साल के बेट राम ने मुखाग्नि दी। सोमवार को दिल्ली में सीएए के प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में गोली लगने से रतनलाल की मौत हो गई थी। बुधवार सुबह जब रतनलाल की पार्थिव देह जब गांव पहुंची तो ग्रामीणों ने उनके घर से करीब 15 किमी दूर ही शव वाहन को रोक लिया। ग्रामीणों ने शव को रखकर प्रदर्शन किया और जवान को शहीद का दर्जा देने की मांग की।


इस दौरान सांसद सुमेधानंद सरस्वती वहां पहुंचे। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे लोगों को आश्वासन दिया कि सरकार ने ग्रामीणों की मांग मान ली है। रतनलाल को शहीद का दर्जा दिया जाएगा और शहीद के परिवार को दी जाने वाली सुविधाएं भी उनके परिवार दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि परिवार से एक को सरकारी नौकरी दी जाएगी और एक करोड़ की आर्थिक मदद दी जाएगी। इसके बाद ग्रामीणों ने अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया।


22 फरवरी को मनाई थी शादी की वर्षगांठ
रतनलाल ने 22 फरवरी को परिवार के साथ दिल्ली में विवाह की वर्षगांठ मनाई थी। छोटे भाई दिनेश ने बताया कि भैया सोमवार का उपवास रखते थे। घटना के दिन भी सोमवार होने से उनका व्रत था। इसलिए वे 11 बजे घर से ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे। उनके परिवार में पत्नी पूनम, 12 साल की बेटी रिद्धि, 10 साल की बेटी कनक और 7 साल के बेटा राम है।


ट्रेनिंग के बाद रॉबर्ट वाड्रा की सिक्योरिटी में लगे थे: 1998 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भर्ती होने वाले रतनलाल को पहली बार में ही राबर्ट वाड्रा की सिक्योरिटी में लगाया गया। दो साल पहले ही हैड कांस्टेबल के पद पर इनकी पदोन्नति हुई।


लोन लेकर बनाया था दिल्ली में मकान : रतनलाल नौकरी लगने के बाद से दिल्ली में रह रहे थे। पांच साल पहले उन्होंने अमृत विहार बुराड़ी-दिल्ली में लोन लेकर मकान बनाया था। अभी मकान के प्लास्टर का काम भी बाकी था।