नई दिल्ली
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर वोटिंग के बाद सबके मन में सवाल उभर रहा है कि क्या एक बार फिर पांच साल केजरीवाल का नारा बुलंद होगा या मोदी-शाह की जुगलबंदी की बदौलत बीजेपी की जय-जय होगी। हालांकि एग्जिट पोल के नतीजों में आम आदमी पार्टी को बंपर बहुमत मिलने का अनुमान लगाया गया है। बात अगर मिडल क्लास वोटर की करें तो हर चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की इस वर्ग पर खास नजर होती है। इस बार का चुनाव भी इससे अलग नहीं रहा। लेकिन खास बात यह है कि इस चुनाव में मध्यम वर्ग के मतदाता एक ही मुद्दे से प्रभावित नहीं नजर आए। कुछ के लिए सड़क, बिजली-पानी जैसे स्थानीय मुद्दे अहम थे तो कुछ ने राष्ट्रीय मुद्दों को तवज्जो दी। वोटिंग के दौरान हमने मिडल क्लास वोटर का मूड भांपने की कोशिश की।
मिडल क्लास के कई मतदाताओं ने माना कि पिछले साल के लोकसभा चुनाव से उन्होंने पाला बदल लिया। वेस्ट दिल्ली के वरिंदर नगर इलाके के रहने वाले योगेश कपूर का कहना है, 'मेरा परिवार लंबे समय से बीजेपी का समर्थक रहा है लेकिन पिछले साल लोकसभा चुनाव में मैंने आम आदमी पार्टी को वोट दिया था। इस बार मेरे घर के सभी लोग दिल्ली के विकास के लिए AAP को वोट दे रहे हैं।'
रोहिणी को बीजेपी का गढ़ माना जाता है लेकिन यहां भी 'आप' के विकास और बीजेपी की ओर से उठाए गए राष्ट्रवादी मुद्दों पर स्पष्ट लकीर खिंचती दिखी। सेक्टर 15 के निवासी रमेश कुमार का कहना है, 'दिल्ली सरकार ने दिखाया है कि थोड़े से नए कदम उठाकर और सकारात्मक इरादों से बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है, इस बात की आप अनदेखी नहीं कर सकते हैं।'
हालांकि उन्हीं के पड़ोसी सुनील मानते हैं कि बीजेपी कैंडिडेट विजेंदर गुप्ता मोदी फैक्टर की वजह से इस बार अपनी जीत का मार्जिन बढ़ाएंगे। उन्होंने टीओआई से कहा, 'हमें एक निर्भीक नेता की जरूरत है न कि मुफ्त योजनाओं के वादे करने वाले शख्स की।'
ग्रेटर कैलाश-1 के रहने वाले शशांक शर्मा भी दो विचारों की रस्साकशी में उलझे हुए थे लेकिन आखिर में उन्होंने बीजेपी के साथ जाने का फैसला लिया। शर्मा ने कहा, 'दिसंबर में हुई हिंसक घटनाओं ने राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था की कमी को लेकर आईना दिखाया। विकास हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा के बाद आता है।' लेकिन डिफेंस कॉलोनी के अमित मल्होत्रा ने उस कैंडिडेट को वोट दिया जो ज्यादा 'विकास' कर सकता है।
सीनियर सिटिजन एसएम दुग्गल ने वसंत कुंज के सरकारी स्कूल में अपनी पत्नी और बेटे के साथ वोट डाला। उनका कहना है कि लोग राज्य और राष्ट्र के बीच में स्पष्ट रूप से बंटे हुए थे। दुग्गल ने वोटिंग के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'पिछले कुछ साल से दिल्ली में केवल मुफ्त की रेवड़ियां बंटी हैं और कुछ नहीं हुआ।'
लेकिन जनकपुरी के सी ब्लॉक में रहने वाले नवनीत सिंह को पक्का भरोसा है कि राज्य के स्तर पर कल्याकारी योजनाएं इस चुनाव में निर्णायक फैक्टर होंगी। नवनीत ने बताया, 'मेरे एक फ्रेंड का एक महीने पहले बहुत बड़ा ऐक्सिडेंट हो गया था और उसे एक निजी अस्पताल में मुफ्त में इलाज मिला। इससे उसकी जान बच गई। इसके अलावा आम आदमी पार्टी की सरकार ने कई ऐसी स्कीमें शुरू की हैं, जिनका लाभ हर किसी को मिला है।'