नई दिल्ली
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि करीब 45 माननीय सदस्यों ने अभिभाषण पर अपने विचार प्रकट किए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि ये सदन इस बात के लिए गर्व कर सकता है कि पिछला सत्र काफी उपयोगी रहा, इसके लिए सभी सदस्य धन्यवाद के पात्र हैं।
इसके बाद पीएम मोदी ने कहा कि ये अनुभवी और महानुभावों का सदन है, इससे देश को काफी अपेक्षा थी। ट्रेजरी बैंक पर बैठे लोगों को भी काफी अपेक्षा थी और मेरी स्वंय की तो काफी अपेक्षा थी कि आपके पास से बहुत अच्छी काम की बातें मिलेंगी। अच्छा मार्गदर्शन मुझ जैसे नए लोगों को मिलेगा। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि नए दशक की नए कलेवर की जो अपेक्षा थी, उसमें मुझे निराशा हाथ लगी है। ऐसा लग रहा है जहां आप ठहर गए हैं वहां से आगे बढने का नाम नहीं ले रहे हैं। कभी-कभी तो लगता है कि आप पीछे की तरफ जा रहे हैं।
पीएम ने कहा कि अच्छा होता कि हताशा और निराशा का माहौल छोडकर नया उमंग, नए विचार, नई ऊर्जा के साथ देश को नई दिशा मिलती, देश को मार्गदर्शन मिलती। लेकिन शायद ठहराव को ही आपने अपना वर्चयू बना लिया है। इसलिए मुझे काका हाथरसी का एक व्यंग्य काव्य याद आता है-
प्रकृति बदलती छण-छण देखो,बदल रहे हम कण-कण देखो,तुम निष्क्रिय से पड़े होभाग्यवाद पर अड़े हुए होछोड़ो मित्र! पुरानी डफली,जीवन में परिवर्तन लाओ।परंपरा से ऊंचे उठ कर,कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ।
काका हाथरसी का एक व्यंग्य काव्य मुझे याद आता है-
प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो,
बदल रहे अणु, कण-कण देखो।
तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो,
भाग्य वाद पर अड़े हुए हो।
छोड़ो मित्र! पुरानी डफली,
जीवन में परिवर्तन लाओ।
परंपरा से ऊंचे उठ कर,
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ: पीएम