दिल्ली
भारत और पाकिस्तान शायद ही बातचीत की मेज पर आते हैं। यहां तक कि करतारपुर गलियारा कांटों से मुक्त नहीं है। हालांकि, दोनों देश साझा दुश्मनों के खिलाफ मोर्चा लेने की रणनीति बनाने के लिए पिछले कुछ महीनों में पांच मीटिंग कर चुके हैं। ये साझा दुश्मन हैं- बेहद घातक रेगिस्तानी टिड्डियां।
भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत आगे भी जारी रहेगी क्योंकि आशंका जताई गई है कि इस साल जून महीने से पिछले वर्ष से भी ज्यादा बड़े पैमाने पर टिड्डियों का हमला शुरू हो जाएगा। पिछले वर्ष राजस्थान और गुजरात के कुछ जिलों के किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा क्योंकि टिड्डियां उनकी खड़ी फसलों को चट कर गईं।
कृषि मंत्रालय के एक नोट में कहा गया है, 'अनुमान यह भी है कि जून 2020 में मॉनसून आते ही भारत के 2 लाख स्क्वैयर मीट रेगिस्तानी इलाके में टिड्डियों का आक्रमण हो जाएगा। ये टिड्डियां ईरान के दक्षिणी-पूर्वी भाग, दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान और अफ्रीकी प्रायद्वीप हॉर्न ऑफ अफ्रीका से आएंगी। यह आक्रमण पिछले से भी बड़े पैमाने पर हो सकता है।'
टिड्डियों ने भारत-पाकिस्तान में रबी की खड़ी फसलों पर हमला किया जिन पर जनवरी में नियंत्रण पाया जा सका। जून से दिसंबर 2019 के बीच भारत के मुनाबाओ और पाकिस्तान के खोखरोपार में दोनों देशों के बीच पांच मीटिंग्स हुईं। पाकिस्तान को तो टिड्डियों के आक्रमण को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना पड़ा। हालांकि, भारत ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आक्रमण के असर को कम करने में सफलता पा ली।
भारत की तैयारी के बारे में पूछे जाने पर कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार आधुनिकतम तकनीक से लैस 60 स्पेशलाइज्ड स्प्रेयर से फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव किया जाएगा। इस काम में हेलिकॉप्टरों एवं ड्रोनों की मदद ली जाएगी।