अमित शाह ने बताया क्यों नहीं गए उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों में


दिल्ली


गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली दंगा को लेकर बुधवार को राज्यसभा में जवाब देते हुए कहा कि इस घटना की निष्पक्ष जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने दंगा रोकने में दिल्ली पुलिस की भूमिका का जिक्र करते हुए शाबाशी दी। गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली दंगा को फैलने न देना एक बड़ी चुनौती थी और दिल्ली पुलिस ने इसे बखूबी अंजाम दिया।


उन्होंने कहा कि दिल्ली में 36 घंटे तक दंगे हुए। लेकिन, पुलिस ने इस दंगे को 36 घंटे बाद काबू पा लिया था। अमित शाह ने कहा कि दिल्ली दंगा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के डिनर कार्यक्रम में भी वह शरीक नहीं हुए थे, बल्कि वह दिल्ली पुलिस के साथ बैठकर इस पूरी घटना निगरानी कर रहे थे।


गृह मंत्री ने कहा कि 25 और 26 को उनकी ही अध्यक्षता में दिल्ली दंगा रोकने को लेकर बैठकें हुई। अमित शाह ने कहा कि दंगे के वक्त किसकी क्या जिम्मेदारी होती है ये नहीं देखा जाता है, लिहाजा उन्होंने ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार प्रमुख से कहा था कि वे दंगा प्रभावित इलाकों में जाए।


अमित शाह बोले- क्यों नहीं गए दंगा प्रभावित इलाकों में


अमित शाह ने कहा- मैं इसलिए दंगा में नहीं गया क्योंकि उसके चलते पुलिस मेरे पीछे रहती, जबकि पुलिस वहां पर लोगों को शांत करने में लगी थी।


अमित शाह ने कहा कि दंगे में 2647 लोग पकड़े गए हैं और 700 एफआईआर दर्ज की गई। सॉफ्टवेयर के जरिए लोगों की पहचान की जा रही है। सॉफ्टवेयर की जरिए 1100 लोगों की पहचान की गई है। सीसीटीवी और मीडिया से इस बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। 40 टीमें इन लोगों की गिरफ्तारी को लेकर बनाई गई है।


गृह मंत्री ने कहा कि 2 एसआईटी टीमें बनाई गई हैं जो सीरियस टाइम के केस की जांच करेगी। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि दंगों के दौरान ऐसे 60 एकाउंट सक्रिय थे जो दंगे के बाद बंद हो गए।


दंगों में 52 भारतीय की मौत


अमित शाह ने कहा कि दंगों में 52 भारतीय की मौत हो गई, 526 घायल हुए और 371 दुकानें जलाई गई। उन्होंने कहा कि वे इसे हिन्दू-मुसलमानों में नहीं बाटेंगे।


होली से पहले चर्चा की विपक्षी दलों ने की थी मांग


उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगा पर 2 मार्च को चर्चा की मांग की गई थी लेकिन मैंने कहा था कि इस पर चर्चा होली के बाद की जाए। उसकी वजह ये थी कि होली के दौरान भी कुछ जगहों पर दंगा भड़क सकती थी। उन्होंने कहा कि कुछ नेता चाहते थे कि होली से पहले ही इस पर चर्चा कराई जाए।


गौरतलब है कि नागरिकता कानून पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दो समूह में हिंसक झड़प ने दंगा का रूप ले लिया और देखते ही देखते कई जिंदगियां तबाह हो गई।