बीजेपी विधायक दल के नेता चुने गए शिवराज, कुछ देर में लेंगे सीएम पद की शपथ


भोपाल
शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री होंगे। वह रात 9 बजे राजभवन में शपथ ग्रहण करेंगे। सोमवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक में उन्‍हें नेता चुन लिया गया। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पार्टी विधायकों की बैठक में प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने दल के नेता के चयन के लिए विधायकों को आमंत्रित किया। जिस पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधायक दल के नेता के रूप में चौहान के नाम का प्रस्तावित किया, जिसका सभी विधायकों ने समर्थन किया। बैठक में पर्यवेक्षक बनाए गए राष्‍ट्रीय महासचिव अरुण और एमपी के प्रभारी विनय सहस्‍त्रबुद्धे वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए। भाजपा की सरकार बनना तय है, क्योंकि वर्तमान में भाजपा के पास सदन में उपलब्ध सदस्यों की संख्या के मुकाबले बहुमत है।

मास्‍क लगाकर मीटिंग में आए विधायक
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कहना है, "रीवा, सीधी, सिंगरौली आदि स्थानों के विधायक बैठक में नहीं आ पाए, मगर उनकी सहमति ली गई। कुल विधायकों में 80-85 प्रतिशत विधायक बैठक में पहुंचे।" भाजपा ने कोरोनावायरस को लेकर बैठक में हिस्सा लेने आने वाले विधायकों को अन्य किसी को साथ न लाने के निर्देश दिए थे, जिसका सभी ने पालन किया। इसके अलावा विधायक मॉस्क लगाए हुए थे और उन्होंने सेनेटाइजर का उपयोग कर ही बैठक में हिस्सा लिया।


अभी तक कमलनाथ एक्टिंग सीएम
कांग्रेस के 22 विधायकों के बगावत करने और सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। इसके बाद, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 20 मार्च को पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से कमलनाथ सरकार को राज्यपाल ने कार्यवाहक के तौर पर काम करने के निर्देश दिए थे।


विधानसभा का क्‍या है हाल?
230 सदस्यों वाली विधानसभा में 25 स्थान रिक्त हैं। वर्तमान में 205 विधायक हैं, जिसमें भाजपा के 106 विधायक हैं। सपा का एक, बसपा दो और चार निर्दलीय हैं। इस तरह वर्तमान में भाजपा को बहुमत हासिल है। इस तरह 25 स्थानों पर आगामी समय में होने वाले उपचुनाव सरकार के भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगे।

15 महीने में वापस पाई सत्‍ता
साल 2018 में शिवराज लगातार चौथी बार मुख्‍यमंत्री बनने की तैयारी में थे। बुधनी सीट से शिवराज तो जीत गए मगर बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 109 सीटें ही हासिल हो पाईं। कांग्रेस भी अपने दम पर पूर्ण बहुमत नहीं जुटा सकी थी मगर बसपा, सपा और निर्दलीयों को साथ लेकर कमलनाथ मुख्‍यमंत्री बने। उनकी सरकार को 15 महीने भी नहीं हुए थे कि मध्‍य प्रदेश में पासा पलट गया। शिवराज ने कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को अपने साथ कर लिया और 22 कांग्रेसी विधायक भी बागी हो गए। कमलनाथ सरकार गिर गई और शिवराज यानी 'मामा' की फिर से मध्‍य प्रदेश की सत्‍ता में वापसी हो गई।