कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा, गवर्नर से मिलने निकले


भोपाल
मध्य प्रदेश की सियासत में उस समय एक बड़ा मोड़ आ गया, जब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यूं तो पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ बड़ा हो सकता है, लेकिन संस्पेंस बना हुआ था, जिस पर से कमलनाथ ने पर्दा उठा दिया। कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होते ही पहले वो पुराने दिन याद किए जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और वह मुख्यमंत्री बने। इसके बाद उन्होंने इस्तीफे का ऐलान किया और उठकर चले गए। अब वह 1 बजे राज्यपाल से मिलेंगे और उन्हें अपना इस्तीफा सौंपेंगे।


इस्तीफा देने से पहले कलनाथ अपनी 15 महीने की सराकर का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। उन्होंने बीजेपी के 15 साल से तुलना करते हुए कहा कि उन्हें जनता ने 5 साल के लिए चुना था, लेकिन उन्हें 15 महीने ही काम करने दिया गया। उन्होंने कहा कि इन 15 महीनों में उन्होंने प्रदेश की तस्वीर बदलने की पूरी कोशिश की। हमेशा विकास में विश्वास रखा।


कमलनाथ ने कहा कि इन 15 महीनों में भाजपा ने लगातार मेरे खिलाफ साजिश की। भाजपा पहले दिन से साजिश कर रही थी और आज हमारे 22 विधायकों को कर्नाटक में बंधक बनाकर रखा हुआ है। भाजपा ने करोड़ों रुपयों का खेल खेला है। प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने वाले इन लोगों को जनता कभी माफ नहीं करेगी। हमने इन 15 महीनों में मिलावटमुक्त सरकार बनाने की कोशिश की। 


भाजपा को यह रास नहीं आया....
इस्तीफे से पहले कमलनाथ BJP पर बरसते चले। गौमाता के संरक्षण के गौशाला बनाई गई लेकिन भाजपा को ये रास नहीं आया। प्रदेश को भयमुक्त बनाया, लेकिन भाजपा को ये रास नहीं आया। युवाओं को रोजगार देने की कोशिश की गई, लेकिन भाजपा को ये रास नहीं आया। भाजपा के शासन में भी मध्य प्रदेश में माफिया राज पनपा।

भाजपा ने लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की। उन्होंने ये भी बताया कि इन 15 महीनों में पहले चरण में 3 लाख और दूसरे चरण में 7 लाख किसानों का कर्ज माफ किया और तीसरे चरण में 2 लाख किसानों का कर्ज माफ करना है। भाजपा ने साजिश कर के सभी किसान भाइयों के साथ धोखा किया है। भाजपा लगातार हमारी सरकार को स्थिर करने की कोशिश करती रही।


उन्होंने ये भी कहा कि 15 महीने में भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा। जनता ने ये महसूस किया कि सरकार कैसी होती है। वह बोले कि आज के बाद कल आता है और कल के बाद परसों। उनकी इस बात के क्या मायने होंगे, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। हालांकि, उन्होंने ये जरूर कहा कि वह नीलामी और सौदे की राजनीति नहीं करते हैं।


बता दें कि पिछले दिनों से राजस्थान की राजनीति में काफी उथल-पुथल मची हुई थी। ये सब शुरू हुआ ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद। उनके बाद उनका समर्थन करने वाले विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था। अब सिंधिया भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कमलनाथ सरकार से 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर भी किए जा चुके हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दे दिया है और आज शाम तक बहुमत परीक्षण होना है। वैसे फ्लोर टेस्ट से पहले ही दिग्विजय सिंह ये कह चुके हैं कि कांग्रेस के पास नंबर कम हैं।