मिसाल: बीएचयू ने इजाद की एक घंटे में कोरोना जांच की तकनीक


वाराणसी
भारत में घातक कोरोना वायरस (कोविड-19) के मरीजों की बढ़ती तादात और जांच में तेजी लाने के दबाव के बीच काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय (बीएचयू) की महिला विज्ञानियों ने जांच की ऐसी नई तकनीक खोजी है, जो महज घंटे भर में सटीक नतीजे देगी। इस तकनीक से जांच का खर्च भी घटकर आधा हो जाएगा। सामान्‍यतया विदेशी किट से जांच में 9 से 10 घंटे का समय लगता है। भारतीय पेटेंट कार्यालय ने अप्‍लाई करने के महज 24 घंटे के अंदर ही बीएचयू की इस तकनीक का पेटेंट करने करने की मंजूरी दे दी है।


बीएचयू के चिकित्‍सा विज्ञान संस्‍थान (आईएमएस) के डिपार्टमेंट ऑफ मॉलिक्युलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्‍स की प्रफेसर गीता राय ने कोविड-19 की सौ फीसदी सटीक जांच वाली तकनीक अपनी लैब में शोध छात्राओं की मदद से खोजी है। एक पखवारे तक लगातार दिन-रात प्रयास के बाद खोजी गई तकनीक कोरोना वायरस के प्रोटीन की परख पर आधारित है। यइ देश में पहली बार ईजाद की गई किट है। इस तकनीक से छोटी पीसीआर मशीन से भी जांच होने पर गलत रिपोर्ट आने की संभावना बिलकुल नहीं है। 


प्रफेसर गीता राय ने बताया कि नई तकनीक को रिवर्स ट्रांस्‍क्रीप्‍टेज पॉलीमर चेन रिएक्‍शन (आरटीपीसीआर) कहा जता है। आरटीपीसीआर आधारित जांच ऐसे अनोखे प्रोटीन सिक्‍वेंस को लक्ष्‍य करती है जो सिर्फ कोविड-19 में ही मौजूद है। यह प्रोटीन सिक्‍वेंस किसी और वायरस स्‍ट्रेन में नहीं पाया जाता है। यह महत्‍वपूर्ण खोज करने वाली टीम में प्रफेसर के साथ शोधार्थी डोली दास, खुशबू प्रिया और हीरल ठक्‍कर शामिल है। प्रफेसर राय का दावा है कि यह जांच ज्‍यादा सटीक के साथ अब तक की सबसे सस्‍ती और आसान है। 


पेटेंट नंबर एक सप्‍ताह में
प्रफेसर गीता राय ने बताया कि भारतीय पेटेंट कार्यालय में आवेदन किया गया है। पेटेंट कार्यालय की ओर से निरीक्षण कर उसी दिन बताया गया कि अब तक देश में प्रोटीन सिक्‍वेंस को लक्ष्‍य कर जांच करने की कोई किट नहीं है। बीएचयू की तकनीक बिलकुल नई है। आवश्‍यक प्रक्रिया पूरी कर पेटेंट नंबर अगले सप्‍ताह जारी होगा। प्रफेसर राय ने उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि कोविड-19 के संक्रमण की बढ़ती स्थिति को देखते हुए यह तकनीक जांच की गति बढ़ाने में कारगर होगी। इससे सटीक जांच के साथ रिपोर्ट भी जल्‍द प्राप्‍त की जा सकेगी।

सीडीएससीओ से संपर्क साधा
प्रफेसर गीता राय ने इस दिशा में मार्गदर्शन और समर्थन के लिए सेंट्रल ड्रग स्‍टैंडर्ड कंट्राल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) और इंडियन काउंसिल मेडिकल रिसर्च ऑफ इंडिया (आईसीएमआर) से भी संपर्क साधा है। इस तकनीक के जरिए जांच के लिए ड्रग इंडस्‍ट्री की सहभागिता और सहयोग भी मांगा है। इससे तैयार किट जल्‍द बाजार में उतारने की तैयारी है।