थोड़ी और लापरवाही हमारी दुनिया में ला सकती है जायंट वायरस का खतरा, मुश्किल होगा निपटना

ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इस आइस के अंदर किस तरह के वायरस या जीवाणु छिपे हो सकते हैं! एक अनुमान है कि सदियों से जमी इस वर्फ के अंदर कई तरह के जानलेवा वायरस दबे हुए हैं। 'द नेचर जर्नल' की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन वायरस के बारे में
यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि वे मर ही चुके हैं। हो सकता है कि वे सदियों से निष्क्रिय अवस्था में हों और बर्फ के पिघलते ही वापस जीवित हो जाएं...


अपने लिए खतरा बढ़ा रहे हैं हम


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जरा सोचकर देखिए कि क्या हाल होगा अगर ऐसे हजारों सालों से बर्फ की गहरी सतहों में जमे वायरस से हमें जूझना पड़े, जिसमें हजार से ज्यादा जीन्स हों? दरअसल, ऐसी स्थितियों की तरफ हम खुद ही अपने आप को धकेल रहे हैं। अगर ग्लोबल वॉर्मिंग इसी तरह बढ़ती रही तो हो सकता है कि जल्द ही हमें इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़े।




कोरोना से सबक लेना है जरूरी


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वर्तमान समय में हम कोरोना वायरस से पीड़ित हैं। जो चमगादड़ जैसे जीव से हमारी दुनिया में आया है। इसकी वजह भी चमगादड़ों का सूप पीना माना जा रहा है। हालांकि इस बारे में कंफर्म तौर पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह तय है कि सार्स कोरोना वायरस-2 चमगादड़ों में लंबे समय से देखा जा रहा है।




इन्हें क्यों कहते हैं जायंट वायरस?


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अब आपके मन में यह सवाल आना लाजिमी है कि आखिर इन्हें जायंट वायरस क्यों कहा जा रहा है और अन्य वायरस से ये किस तरह अलग हो सकते हैं? दरअसल, यह बात तो हम सभी जानते हैं कि ज्यादातर वायरस का साइज बहुत छोटा होता है और उनके अंदर सिर्फ कुछ ही जीन्स होते हैं। लेकिन जायंट वायरस के बारे में अनुमान है कि कुछ जायंट वायरस बैक्टीरिया जितने भी बड़े हो सकते हैं। हालांकि वायरस हो या बैक्टीरिया इन्हें देखने के लिए हमें माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है।




वायरस और बैक्टीरिया का साइज


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बैक्टीरिया का साइज इतना छोटा होता है कि हम बैक्टीरिया को बिना माइक्रोस्कोप की मदद के नहीं देख पाते। लेकिन आमतौर पर वायरस का साइज बैक्टीरिया से भी हजार गुना छोटा होता है। जबकि जायंट वायरस बैक्टीरिया जितने बड़े हो सकते हैं। इनमें जेनेटिक मटीरियल भी 100 से हजार जीन्स का भी हो सकता है।




साइबेरिया में हुई रिसर्च


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साल 2014 में साइबेरिया में हुई एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पहली बार एक जायंट वायरस को देखा। इसके अगले साल यानी 2015 में साइबेरिया में ही एक और जायंट वायरस देखा गया। इन दोनों ही वायरसों में 500 से अधिक जीन्स पाए गए। जबकि अब तक सबसे घातक माने जानेवाले वायरसों में से एक HIV में मात्र 9 जीन्स होते हैं।




कहां मिले ये जायंट वायरस?


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शोधकर्ताओं को ये जायंट वायरस हजार फीट गहराई में तीस हजार साल पुराने ग्लेशियर में मिले। जब शोधकर्ताओं ने इन वायरस को अमीबा से एक्सपोज किया तो इन वायरस ने तुरंत ही अमीबा को इंफेक्ट कर दिया। इससे रिसर्चर्स ने पता लगाया कि ये वायरस अभी तक जीवित हैं।




जान लें इनकी क्षमता


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जायंट वायरस के बारे में एक और चिंताजनक बात यह है कि ये वायरस ना केवल जेनेटिकली ज्यादा बड़े होते हैं बल्कि वातावरण में लंबे समय तक जीवित रहने की इनकी क्षमता भी बहुत अधिक होती है। ये बड़ी वजहें हैं जो बताती हैं कि इन वायरस का ह्यूमन लाइफ में आना बहुत अधिक घातक हो सकता है।




ग्लेशियर पिघलने की कई वजह


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केवल ग्लोबल वॉर्मिंग ही नहीं बल्कि माइनिंग यानी खदान खोदना और ऑइल ड्रिलिंग यानी जमीन से तेल निकालना भी तेजी से ग्लेशियर्स के पिघलने की बड़ी वजह हैं। इस कारण तेजी से पिघलती बर्फ से हमारी दुनिया में जायंट वायरस के आने की संभावना बढ़ रही है।




अब तक का सबसे बड़ा वायरस


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वैज्ञानिकों को पिंघलते ग्लेशियर्स के अंदर से जो अब तक सबसे बड़ा वायरस मिला है, उसका नाम मिमी वायरस है। मिमी के अंदर 1200 जीन्स पाए गए हैं। यह वायरस नैकेड आईज से तो नहीं देखा जा सकता लेकिन फिर भी यह साइज में काफी सारे बैक्टीरिया से बड़ा है।