झुन्झुनू, भीलवाड़ा मॉडल पर पूरे प्रदेशवासियों को फक्र है, लेकिन यह मॉडल लागु करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों व उनकी टीम के मार्गदर्शन का उपयोग पहले सीमावर्ती जिलों के साथ-साथ कोरोना हॉट-स्पॉट बने जयपुर, जोधपुर, कोटा व झुंझुनूं सहित अन्य हाईरिस्क वाले जिलों में करना नितान्त आवश्यक है।
भीलवाड़ा से पहले झुंझुनूं जिले व प्रदेश का पहला कोरोना रोगी की पहचान आठ मार्च को झुंझुनूं के मंडावा कस्बे में इटली से आया पर्यटक के रूप में हुई थी। इसी में दूसरी बार भी झुंझुनूं शहर में एक दम्पत्ती व बच्ची सहित तीन रोगियों की 18 मार्च को पहचान हुई थी। इसके बाद जिला प्रशासन ने उसी दिन लॉक डाउन कर व कफ्र्यू लागु कर दिया था। फिर भी उद्योगपतियों, शिक्षा व सैन्य सेवा क्षेत्र में अग्रणी रहने वाले तथा अनेक कार्याे में पूरे प्रदेश में मॉडल जिले के रूप में पहचान रखने वाला झुंझुनूं जिला कोरोना मॉडल बनने के बजाय हॉट स्पॉट जिला बन गया। जहां वर्तमान में 31 कोरोना पॉजिटीव रोगी सामने आ चुके है। इस जिले में कितने ओर पॉजिटीव रोगी मिलेगे यह तो वक्त बताएगा, परंतु स्थिति प्रशासनिक नियंत्रण में नही मानी जा रही है, कमोबेश यहीं स्थिति जयपुर, जोधपुर सहित अन्य जिलों की है
झुंझुनूं जिले के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि झुंझुनूं को कोरोना संक्रमण रोकथाम के रूप में मॉडल जिला, भीलवाड़ा से पहले बनाया जा सकता था, बशर्ते प्रशासनिक स्तर पर प्रभावी निर्णय लेने की क्षमता व सही रणनीति को टीम भावना के साथ धरातल में उतारा जाता। कमोबेश यहीं कथन झुंझुनूं जिले के दो विधायकों के भी है। उनका कहना था कि यदि पूर्व जिला कलेक्टर रवि जैन होते तो झुंझुनूं जिला हॉट स्पॉट की ओर नही बढ़ता। इन विधायकों का मनना है कि वर्तमान जिला कलेक्टर बात सुनते है, अलग-अलग लोगों से मंत्रणा भी खूब लंबी करते है, लेकिन इनकी रणनीति व टीम बनाकर कार्य करने की क्षमता में गंभीरता पैदा नही हो पाती। झुंझुनूं जिला कलक्टर द्वारा जो निर्णय 25 मार्च में लिए जाने चाहिए थे, वे सभी निर्णय पांच अपै्रल के बाद लिए गये। यदि यहीं निर्णय पहले ही पूरी मजबूती के साथ लिए जाते तो झुंझुनूं जिले की कोरोना संक्रमण रोकथा में स्थिति कुछ ओर होती।
जिले के एक वरिष्ठ प्रबुद्धजन का कहना है कि कोरोना संक्रमण रोकने में झुंझुनूं जिले को मॉडल बनाना, जिले के प्रशासनिक मुखिया पर निर्भर है, क्योंकि जिले की जनता उसी प्रशासनिक निर्णय में साथ देती है, जिसमें प्रशासन की दूरदृष्टिता नजर आती है। जिसका उदाहरण जिला मुख्यालय पर गत दिनों हुए पुराना बस स्टैंड स्थानातंरण के रूप में देखा जा सकता है। पुराना बस स्टैंड स्थानातंरण प्रकरण काफी लंबे समय से लंबित था, जिसके लिए काफी प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने स्तर पर आंशिक कुछ प्रयास भी किए, लेकिन वे सफल नही हो पाए। लेकिन पूर्व जिला कलेक्टर रवि जैन इस पूरे प्रकरण को जिस प्रकार अपनी सुझबुझ व अच्छी तैयारी के साथ निपटाया, वह एक कुशल प्रशासक की निशानी दर्शाता है। इसी को ध्यान में रखकर इस प्रबुद्धजन का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पूर्व जिला कलेक्टर रवि जैन को ही एक बार वापिस जिले का प्रभारी कोरोना अधिकारी बनाकर भेज देना चाहिए। जिस प्रकार स्वास्थ्य विभाग ने तत्परता दिखाते हुए जिले में स्थाई सीएमएचओ होते हुए भी डॉ.प्रतापसिंह दूतड़ को प्रभारी सीएमएचओं बनाकर भेजा है। यदि उसी तर्ज पर सिनियर आईएएस रवि जैन को प्रभारी के रूप में जिले में लगाया जाता है तो, निश्चित रूप से झुंझुनूं में कोरोना संक्रमण रोकथाम की दिशा में बेहतर परिणाम सामने आएंगे। क्योकि आईएएस रवि जैन गत दिनों ही जिले से जिला कलक्टर के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया है, जिसके कारण वे पूरे जिले को भौगोलिक व अन्य विशिष्ठ क्षेत्रों से अच्छे से वाकिब है। झुंझुनूं जिले की स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए लगाए गए एक आरएएस अधिकारी का कहना है कि झुंझुनूं जिला कलेक्टर व झुंझुनूं एसडीएम की कार्यशैली एक जैसी ही है। जिला कलेक्टर की कार्यशैली व सही रणनीति नही होने के कारण कोरोना पॉजिटीवों की संख्या में जिले में वृद्धि हो रही है।
इसी के साथ भाजपा सांसद नरेन्द्र कुमार व सूरजगढ़ विधायक सुभाष पूनियां ने जिला कलेक्टर व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर सुझाव दिया है कि झुंझुनूं में भीलवाड़ा मॉडल पर कार्य किया जाए। सांसद ने कहा कि गांवों को गांव स्तर पर लॉक डाउन करवा कर कोरोना से बचाया जा सकता है, परंतु शहर व कस्बों में प्रशासन को बेहतर रणनीति के साथ काम करने की आवश्यकता है। इन दोनों ही जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन की कार्यशैली पर चिंता प्रकट की है।
वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने फोन वार्ता में कहा कि भीलवाड़ा मॉडल वहां की जनता व प्रशासन का मॉडल है। इसे देश से पहले प्रदेश के जिलों में लागु करने की आवश्यकता है। पूनियां ने कहा कि गहलोत सरकार को सबसे पहले कोरोना से प्रभावित जिलों में इस मॉडल को लागु करते हुए सीमावर्ती जिलों में क्रियान्वयन किया जाए। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का कहना था कि झुंझुनूं में सबसे ज्यादा कोरोना पॉजिटीव केस आए ओर अब यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। फिर भी यहां भीलवाड़ा मॉडल पर कार्य नही किया गया। पूनियां ने कहा कि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा आमजन को विश्वास में लेकर बेहतर कार्य किया जा सकता है।