इस कंपनी के पास 42 हजार एंप्लॉयीज को वेतन देने के नहीं पैसे, ऐसे दी थी मार्च की सैलरी


कोलकाता
कोल इंडिया की सब्सिडियरी भारत कोकिंग कोल के पास अपने 42,000 कर्मचारियों को अप्रैल की सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं। कंपनी को पिछले कुछ हफ्तों से ग्राहकों से कोई पेमेंट नहीं मिली है, जिसके चलते यह स्थिति बनी है। कंपनी के ग्राहकों में अधिकतर पब्लिक सेक्टर की कंपनियां हैं, जो अभी भी उधारी पर कोयला ले रही है। ऐसे में एग्जिक्यूटिव्स को डर है कि कंपनी को जल्द उत्पादन बंद करने का फैसला लेना पड़ सकता है।


3,200 करोड़ से ज्यादा का बकाया
कोल इंडिया के एक सीनियर एग्जिक्यूटिव ने बताया, 'लॉकडाउन के दौरान पावर प्लांट्स को नकदी संकट का सामना करना पड़ा है, जिसके चलते बिजली कंपनियों पर 3,200 करोड़ से अधिक का बकाया हो गया है। यह कोल इंडिया की किसी भी सब्सिडियरी की सबसे अधिक बकाया रकम है।'


कहां खर्च हो रही वर्किंग कैपिटल?
उन्होंने बताया, 'पूरी वर्किंग कैपिटल कोयले के उत्पादन और ग्राहकों (पब्लिक सेक्टर की कंपनियां) को सप्लाई करने में ही खर्च हो रही है। इसके चलते सैलरी देने, पीएफ जमा करने, या रॉयल्टी और सेस देने सहित दूसरे वैधानिक बकायों को चुकाने के लिए कोई पैसा नहीं बच रहा है।' रॉयल्टी नहीं दे पाने की असमर्थता के चलते कंपनी को अपना ऑपरेशन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है क्योंकि यह टैक्स तब लगता है, जब कोयले का उत्पादन होता है।


कैश क्राइसिस से उबारने को बैंकों से बात
कोल इंडिया के एक एग्जिक्यूटिव ने बताया, 'हम बैंकों से बात कर रहे हैं कि वे हमें कैश क्राइसिस से उबारें। इसके अलावा पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन के जरिए सरकार की ओर से 90,000 करोड़ के दिए लोन प्रस्ताव से भी हम आस लगाए हुए हैं। हमें उम्मीद है कि बिजली कंपनियों को जब इस लोन के जरिए फंड मिलेगा, तो वे इसका इस्तेमाल हमारे बकाये को चुकाने में करेंगी और हमारी मुश्किलें कम होंगी।'


मार्च की सैलरी के लिए FD के बदले जुटाई थी रकम
मार्च में कंपनी ने बैंकों में जमा अपने फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले में फाइनैंस जुटाकर कर्मचारियों को सैलरी देने और अप्रैल में उत्पादन जारी रखने की व्यवस्था की थी। हालांकि कंपनी की फाइनैंस जुटाने की यह लिमिट भी अब खत्म हो गई है। साथ ही कंपनी के बड़े ग्राहकों ने नकदी संकट का हवाला देते हुए पुराने बकाये को फिलहाल चुकाने से मना कर दिया है। उन्होंने बताया, 'लॉकडाउन के चलते एग्जिक्यूटिव कार्यस्थलों पर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में वे हाल के इनवॉयसेज को स्वीकार करने से भी इनकार कर रहे हैं। यह बैंकों से इनवॉयस डिस्काउंटिंग के जरिए अतिरिक्त वर्किंग कैपिटल जुटाने में एक बाधा के रूप में काम कर रहा है। '


मार्च के मध्य से गहराने लगा संकट
यह संकट मार्च महीने के मध्य से गहराना शुरू हुआ, जब भारत कोकिंग कोल की बड़ी ग्राहकों में शामिल दामोदर वैली कॉरपोरेशन (DVC) और वेस्ट बंगाल पावर डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन (WBPDCL) मुश्किल में फंस गईं। एग्जिक्यूटिव ने बताया, 'हमारी बिक्री में इन दोनों कंपनियों का 80 पर्सेंट हिस्सा था। इन कंपनियों ने अपने बकाये का एक छोटे से हिस्से का भुगतान किया था और अप्रैल में कई बार आग्रह किए जाने के बावजूद दोनों कंपनियों ने कोई भुगतान नहीं दिया।'