नई दिल्ली
कांग्रेस पार्टी ने कोरोना संकट से निपटने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन की तुलना नोटबंदी से की है। पार्टी ने कहा है कि जिस तरह नोटबंदी बिना सोचे-समझे की गई, उसी तरह लॉकडाउन का ऐलान भी किया गया। वहीं, पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी ने देश के छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए राहत पैकेज की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर पांच सुझाव दिए हैं।
दरअसल, कोरोना लॉकडाउन के बीच उद्योग जगत को इंतजार है कि सरकार उनके लिए भी राहत पैकेज लेकर आएगी। जारी लॉकडाउन के कारण MSME सेक्टर अपने लिए विशेष राहत पैकेज की मांग कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस बाबत पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है और MSMEs की परेशानियों को विशेष संज्ञान में लिया है। उन्होंने अपनी तरफ से सरकार को पांच सुझाव भी दिए हैं।
सोनिया गांधी ने कहा कि देश की जीडीपी में MSME सेक्टर का योगदान एक तिहाई से ज्यादा है और निर्यात में आधा से ज्यादा हिस्सेदारी है। इस सेक्टर में देश के कुल 11 करोड़ लोग काम करते हैं, जिनकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार से जरूरी मदद नहीं मिलती है तो 6.3 करोड़ MSME बर्बाद होने की कगार पर है। हर दिन इस सेक्टर को 30 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है। MSME के पास सेल्स ऑर्डर नहीं रह गए हैं। रेवेन्यू घटकर शून्य पर पहुंच गया है जिसके कारण 11 करोड़ रोजगार पर खतरा है।
सोनिया गांधी के पांच सुझाव
1. इस सेक्टर को बचाने को लेकर सोनिया गांधी ने कुछ सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने सरकार से कहा कि सबसे पहले 1 लाख करोड़ का MSME वेज प्रोटेक्शन पैकेज की घोषणा की जानी चाहिए।
2. सरकार को इस सेक्टर को बचाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के क्रेडिट गारंटी फंड की भी घोषणा करनी चाहिए, क्योंकि इस सेक्टर को पर्याप्त कैपिटल की जरूरत है।
3. रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी बैंक इस सेक्टर को आसानी से, पर्याप्त और समय पर लोन दें। MSME सेक्टर को गाइड करने के लिए और उनके सवालों को लेकर 24 घंटे वाली एक हेल्प लाइन नंबर जारी की जानी चाहिए।
4. इस सेक्टर के लिए रिजर्व बैंक को तीन महीने के मोराटोरियम पीरियड के अलावा भी राहत देना चाहिए, साथ ही सरकार को टैक्स माफी या टैक्स में कटौती के बारे में विचार करना चाहिए।
5. MSME सेक्टर के सामने हाई कोलैट्रल सिक्यॉरिटी की समस्या पहले से है जिसके कारण उन्हें लोन देने से मना कर दिया जाता था। सरकार को इस समस्या पर गंभीरत से विचार करने की जरूरत है।
सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि सरकार बार-बार यह कहती रही है कि MSME सेक्टर इकॉनमी के लिए रीढ़ की हड्डी है। ऐसे में समय आ गया है कि सरकार रीढ़ की हड्डी को मजबूत करे। यह ऐसा समय है जब समय पर लिए जाने वाले सही फैसले से परिस्थिति में काफी बदलाव संभव है।
दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लॉकडाउन की तुलना नोटबंदी से की गई है। इस ट्वीट में कहा गया है कि इस तरह के फैसले अगर अचानक और बिना तैयारी के लिए जाते हैं तो इसका परिणाम बेहद गंभीर होता है। इसका केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं होता है। नोटबंदी की तरह ही लॉकडाउन का फैसला बिना प्लान के लिया गया जिसकी बहुत ज्यादा कीमत चुकानी होगी।