कोरोना से रिकवर हुए मरीज भी सेफ नहीं' कहने वाले WHO को इसलिए डिलीट करना पड़ा ट्वीट


नई दिल्‍ली
चीन, साउथ कोरिया और दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस से जुड़ी एक समस्‍या सामने आई है। COVID-19 से रिकवर हो चुके पेशेंट्स बाद में फिर से पॉजिटिव टेस्‍ट हो रहे हैं। वुहान के डॉक्‍टर्स ने यह पाया कि कई मामलों में रिकवरी के बाद पेशेंट टेस्‍ट में नेगेटिव आया। मगर 50 से 70 दिन बाद फिर पॉजिटिव टेस्‍ट हुआ। वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा कि COVID-19 से रिकवर होने वाले लोगों के शरीर में एंटीबॉड्रीज बनती हैं या वे सेकेंड इन्‍फेक्‍शन से सुरक्षित हैं, इस बात के कोई सबूत नहीं हैं। हालांकि बाद में, WHO ने यह ट्वीट डिलीट कर दिया।


WHO को क्‍यों डिलीट करना पड़ा ट्वीट?
WHO के इसी ट्वीट को कोट करते हुए अमेरिका की यूनिवर्सिटी और मैरीलैंड में इन्‍फेक्शियस डिलीजेज के चीफ फहीम यूनुस ने कहा कि लोगों को बेवजह डराने की जरूरत नहीं है। उन्‍होंने कहा कि 'वायरल इन्‍फेक्‍शन से पूरी तरह रिकवर होने वाले मरीज आमतौर पर इम्‍यून हो जाते हैं। यह इम्‍यूनिटी महीनों से लेकर सालों तक चल सकती है। उन्‍होंने यह भी कहा कि सबूतों का अभाव, अभाव का सबूत नहीं है।' डॉक्‍टर के इस ट्वीट के कुछ देर बाद ही, WHO ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।


क्‍यों पॉजिटिव मिल रहे रिकवर्ड पेशेंट्स?
डॉ. यूनुस ने COVID मरीजों के फिर से पॉजिटिव मिलने की दो वजहें भी गिनाई। उन्‍होंने कहा कि हो सकता है कि पहले हुआ टेस्‍ट गलत हो। एक वजह ये भी हो सकती है कि टेस्‍ट में मृत वायरल RNA पिक हुआ हो, कोई एक्टिव बीमारी ना हो। उन्‍होंने कहा कि उनके COVID मरीज भी दोबारा पॉजिटिव टेस्‍ट हुए हैं मगर वे बीमार नहीं हैं और ना ही किसी और को इन्‍फेक्‍ट किया है। साउथ कोरिया से भी ऐसा ही सामने आया था। जहां ठीक हो चुके करीब 200 मरीज फिर से पॉजिटिव मिले थे मगर उन्‍होंने किसी और में इन्‍फेक्‍शन नहीं फैलाया।



ये भी हो सकती है वजह
हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स के अनुसार, चूंकि वायरस के तीन स्‍ट्रेन्‍स मिले हैं, यह हो सकता है कि पेशेंट को दूसरे किसी स्‍ट्रेन से इन्‍फेक्‍शन हुआ हो जिसके प्रति उसके शरीर में इम्‍यूनिटी नहीं है। एक दुर्लभ वजह ये भी हो सकती है वायरस शरीर में रह गया हो और टेस्‍ट नेगेटिव आया हो। कुछ दिन बाद कोरोना वायरस फिर से एक्टिवेट हो गया हो। हालां‍कि इसकी संभावना मेडिकल एक्‍सपर्ट्स बेहद कम बताते हैं। 
कैसे चलेगा सच्‍चाई का पता
इन्‍फेक्‍शन दोबारा क्‍यों हुआ, इसके लिए वायरल क्‍वांटिटेटिव एनालिसस की जरूरत पड़ेगी। इससे यह पता चलेगा कि पेशेंट में वायरस का कितना लोड था। यह भी पॉसिबिलिटी है कि टेस्‍ट इतना सेंसिटिव है कि वह वायरस के छोटे, नुकसान ना पहुंचाने वाले लेवल्‍स को डिटेक्‍ट कर लेता है। अगर सैम्‍पल ठीक से कलेक्‍ट नहीं किया गया है तो टेस्‍ट में फॉल्‍ट भी हो सकती है।