मुंबई
देश भर में लॉकडाउन लागू हुए शुक्रवार को एक महीना पूरा हो चुका है। एक महीने के समय में देश के हर राज्य में कोरोना ) के सैकड़ों केस बढ़ चुके हैं। त्रासदी काल में अस्पताल में मरीजों का तांता लगा हुआ है, वहीं सपनों की राजधानी कहा जाना वाला मुंबई शहर इस त्रासदी से सबसे अधिक प्रभावित दिखाई दे रहा है।
मुंबई में एक महीने में हालात किस तरह से बदले इसका अंदाजा सिर्फ इतने से ही लग सकता है कि एक महीने पहले जिस मुंबई में कोरोना के 46 मरीज थे, वहां अब ये संख्या 4205 तक पहुंच गई है।
महाराष्ट्र के 65 फीसदी केस मुंबई में ही
सवा करोड़ लोगों के शहर मुंबई के तमाम अस्पताल मरीजों के सैकड़ों सैंपल हर रोज जांच तो रहे हैं, लेकिन सवाल ये भी है कि मुंबई जैसे शहर में कोरोना का ये भयावह रूप हुआ कैसे? इस मामले में हेल्थकेयर एक्सपर्ट्स से लेकर ब्यूरोक्रैट्स तक की राय अलग-अलग है, लेकिन सबके मूल में बात यही है कि देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र के 65 फीसदी केस मुंबई से ही हैं।
झुग्गियों में लॉकडाउन का पालन बड़ी चुनौती
राज्य सरकार के अफसर केसों के बढ़ने के पीछे की वजह लॉकडाउन का ठीक से पालन ना होना मानते हैं। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मुंबई में लॉकडाउन का पालन उतने प्रभावी ढंग से नहीं हुआ, जैसे कि होना चाहिए था। दो दिन पहले तक मुबंई के टोल नाकों पर लोगों की भीड़ दिखी। इसके अलावा धारावी और अन्य झुग्गी बस्तियों में लॉकडाउन का प्रभावी रूप से पालन नहीं हो पा रहा है।
लॉकडाउन का सही पालन होता तो होती बेहतर स्थिति
अधिकारियों का मानना है कि जिन इलाकों में लॉकडाउन का पालन ठीक तरीके से हुआ है, वहां पर अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। महाराष्ट्र में इसका उदाहरण देखने को भी मिलता है, जहां सांगली जिले के इस्लामपुर में कोरोना के 26 केस मिलने के बावजूद यहां सख्ती से लॉकडाउन का पालन कराया गया और संक्रमण को रोकने में बड़ी मदद भी मिली। अफसरों का कहना है कि मुंबई में भी अगर ऐसे कठोर कदम उठाए जाते और लॉकडाउन का पालन सख्ती से होता तो यहां पर भी परिणाम दूसरे होते।