लंदन
भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की भारत प्रत्यर्पित करने के खिलाफ दायर की गई याचिका को ब्रिटेन की एक अदालत ने खारिज कर दिया। माल्या 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भारत में वांछित है। माल्या ने फरवरी में इंग्लैंड और वेल्स की हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने माना है कि माल्या के खिलाफ भारत में कई बड़े आरोप लगे हैं।
माल्या (64) ने 31 मार्च को याचिका के संबंध में ट्वीट में कहा था, 'मैंने बैंको को लगातार उनके पूरे पैसे चुकाने के लिए ऑफर किया है। न तो बैंक पैसे लेने को तैयार रहे हैं और न ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) संपत्तियों को छोड़ने के लिए। काश इस समय वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) मेरी बात को सुनतीं।'
भारत में लगे हैं गंभीर आरोप
रॉयल कोर्ट में लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इविन और जस्टिस एलिजाबेथ लाइंग की दो सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया। माल्या के खिलाफ भारत में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का केस चल रहा है। जजों ने कहा कि हम यह मानते हैं कि एडीजे यानी सीनियर डिस्ट्रिक्ट जज द्वारा पाए गए आरोप कुछ मामलों में भारत की तरफ (सीबीआई और ईडी) से लगाए गए आरोपों से ज्यादा व्यापक हैं, लेकिन सात ऐसे महत्वपूर्ण मामलों में संयोगवश आरोप भारत में लगाए गए हैं। यह सुनवाई ऐसे समय में हुई है जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रहा है। सुनवाई संभवतः वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये की गई है।
माल्या के पास अब यह है विकल्प
माना जा रहा है कि विजय माल्या के पास हाई कोर्ट द्वारा ऑर्डर पास करने के बाद 14 दिन का वक्त होगा जब वह सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सकते हैं। अगर वह इसमें असफल साबित होते हैं तो उन्हें भारत प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी याचिका खारिज कर देने के बाद आखिरी फैसला वहां का गृह मंत्रालय लेगा जिसकी जिम्मेदारी फिलहाल भारतवंशी प्रीति पटेल संभाल रही हैं।