चेन्नै
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) अब कोरोना वायरस से लड़ने के लिए गठिया (आर्थ्राइटिस) की दवाओं के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। कम कीमत वाले एंटी इनफ्लेमेटरी आर्थ्रराइटिस दवाओं में Covid-19 से हो रही मौत को रोकने की क्षमता है या नहीं, इसके लिए आईसीएमआर क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी देने पर विचार कर रहा है। आर्थ्रराइटिस की दवा इंडोमेथासिन के एक कैप्सूल की कीमत 5 रुपये है।
चेन्नै के किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर राजन रविचंद्रन ने आईसीएमआर को पत्र लिखकर आर्थ्रराइटिस की दवा इंडोमेथासिन के क्लिनिकल ट्रायल की सलाह दी। इंडोमेथासिन, स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों में साइटोकाइन स्टॉर्म (असामान्य इम्यून रिएक्शन, जिससे कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो जाती है) बनने से रोकती है।
इस इंडोमेथासिन दवा की कीमत प्रति कैप्सूल 5 रुपये है, जबकि साइटोकाइन स्टॉर्म के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दवा टोसिलिजुमाब की कीमत 60 हजार रुपये प्रति डोज है। डॉक्टर रविचंद्रन ने 1989 में अपने मरीजों के ट्रांसप्लांट के दौरान सबसे पहले इंडोमेथासिन दवाओं का इस्तेमाल किया था। उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग को भी इस दवा के प्रयोग की सलाह दी। आईसीएमआर अभी इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
ऐसे सभी प्रस्तावों पर आगे बढ़ रहा हैआईसीएमआर)
आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर बलराम भार्गव ने हमारे सहयोगी टीओआई से बताया कि ऐसे करीब 185 प्रस्ताव मिल चुके हैं। उन्होंने बताया कि ICMR इन दवाओं को एक-एक करके साइंस एंड टेक्नॉलजी विभाग, बायोटेक्नॉलजी विभाग, साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च काउंसिल के साथ मिलकर टेस्ट कर रहा है।
अमेरिका में दिखा असर, ब्रिटेन ने भी बढ़ाया प्रस्ताव
अमेरिका में डॉक्टर्स ने इंडोमेथासिन को करीब 60 कोरोना मरीजों में इस्तेमाल करके देखा और इसे असरकारक पाया है। इस पर जांच शुरू कर दी गई है। वहीं ब्रिटेन में भी इस प्रस्ताव को आगे बढ़ा दिया गया है। डॉक्टर रविचंद्रन ने बताया कि इस दवा के बड़े पैमाने पर क्लिनिकल ट्रायल की जरूरत है।