आखिर कोरोना वायरस चमगादड़ से इंसान में कैसे पहुंचा? गुत्थी सुलझाने को माथापच्ची कर रहे वैज्ञानिक



नई दिल्ली


उन देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो जानना चाहते हैं कि आखिर कोरोना वायरस चमगादड़ से इंसान में कैसे पहुंचा। विश्व स्वास्थ्य संगठन में यूरोपीय यूनियन के प्रस्ताव पर कई देश यह पता लगाने की मांग कर चुके हैं लेकिन इसके इतर वैज्ञानिक पहले से इस पर अनुसंधान में जुटे हैं। कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिये उस तीसरे प्राणी की तलाश की जा रही है जो चमगादड़ और इंसान के बीच की कड़ी था लेकिन सफलता नहीं मिली है। नेचर में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में कहा है कि पेंगोलिन्स से लेकर एक दर्जन से ज्यादा जानवरों को संदेह के दायरे में रख जांच हो चुकी है लेकिन कोई ठोस वैज्ञानिक आधार हाथ नहीं लगा है। इनमें बिल्ली, फ्रूट बैट, फेरेट्स, रेहसस आदि जीव शामिल हैं। 


रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में जब वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने कोरोना के जीनोम तैयार कर सार्वजनिक किया तो उसकी 96 फीसदी मैचिंग हार्सशू बैट से हुई। नतीजा यह निकाला गया कि यह चमगादड़ से उत्पन्न हुआ वायरस है। यदि यह सीधे इंसान में गया तो जीनोम में चार फीसदी का अंतर नहीं हो सकता।
 
सबसे पहला संदेह पेंगोलिन पर: रिपोर्ट के अनुसार सबसे पहले संदेह पेंगोलिन पर किया गया क्योंकि पंगोलिन ही एकमात्र स्तनधारी है जिसमें कोरोना वायरस मौजूद रहा है। लेकिन कोविड-19 चमगादड़ से पेंगोलिन के जरिये इंसान में आया है, यह अभी साबित नहीं हो पाया है। इसके बाद वैज्ञानिकों ने अन्य जानवरों पर भी इस नजरिये से पड़ताल की।


स्रोत को खोजना होगा: मैक मास्टर यूनिवर्सिटी हेमिल्टन के शोधकर्ता अरिंजय बनर्जी कहते हैं कि यदि यह वायरस पशुओं से इंसान में पहुंचा है तो उस जानवर का पता लगाना जरूरी है। अन्यथा इसकी उत्पत्ति को लेकर संदेह कायम रहेंगे। यदि दुनिया को विश्वास दिलाना है कि यह जंगली वायरस है तो उसके स्रोत को खोजना होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें सफल नहीं होने पर लैब से लीक की थ्योरी को बल मिल सकता है। यूनिवर्सिटी कालेज लंदन के कंप्यूटेशन बायोलाजिस्ट फ्रेंकोसिस बालौक्स एवं उनकी टीम उन सभी जानवरों के जीनोम डाटाबेस को खंगाल रही है जो इससे मिलते-जुलते हैं।