नई दिल्ली. सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने शुक्रवार को कहा कि सेना के खर्चों में कटौती की दिशा में हमने काम शुरू कर दिया है। केंद्र ने कोरोना संकट के चलते आर्मी को भी खर्चों में 20% की कटौती करने को कहा है। जनरल नरवणे ने कहा कि आर्मी की टुकड़ियों के मूवमेंट में कमी लाई जाएगी, लेकिन सेना के कौशल और युद्ध क्षमता से बिना समझौता किए ये कटौती होगी। सेना प्रमुख ने कहा कि कहा कि टूर ऑफ ड्यूटी (टीओडी) इसके लिए अच्छा विकल्प है। इसके जरिए युवा तीन साल के लिए सेना में शामिल होकर देश सेवा कर सकते हैं।
नरवणे मनोहर पार्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि टूर ऑफ ड्यूटी के लिए कई स्कूल और कॉलेजों से फीडबैक मिले। बड़ी संख्या में टैलेंटेड युवा मिलिट्री लाइफ जीना चाहते हैं। वह इसे कॅरियर से हटकर देखते हैं। ऐसे युवाओं से सेना को मजबूती मिलेगी, वहीं सेना पर आर्थिक भार भी कम होगा। पेंशन व अन्य सुविधाओं पर खर्च होने वाली रकम बचेगी।
आर्मी चीफ ने सड़क को लेकर नेपाल के ऐतराज पर बात की
कैलास मानसरोवर तक की यात्रा बेहतर बनाने के लिए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में चीन-नेपाल बॉर्डर के पास लिपुलेख दर्रे से 5 किलोमीटर पहले तक सड़क निर्माण पर नेपाल की आपत्ति पर सेना प्रमुख ने हैरानी जताई। नरवणे ने चीन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि संभावना है कि नेपाल ऐसा किसी और के कहने पर कर रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे इसमें कोई विवाद नहीं दिखता।
जनरल नरवणे ने कहा कि नेपाल के राजदूत ने भी मानते हैं कि काली नदी के ईस्ट साइड का एरिया उनका है। इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। आर्मी चीफ ने कहा कि जो रोड बनी है, वह नदी के पश्चिम की तरफ बनी है। तो मुझे नहीं पता कि वह असल में किस चीज को लेकर विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ट्राई जंक्शन यानी भारत, नेपाल और चीन का बॉर्डर पर हो सकता है कि कभी कोई छोटा-मोटा विवाद रहा हो। ऐसे में इस बात की संभावना बहुत ज्यादा है कि नेपाल ने यह मामला किसी और के इशारे पर उठाया हो।
भारत-चीन सीमा पर हुए विवाद सुलझा लिए गए
पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुई झड़पों को लेकर सेना प्रमुख ने कहा कि दोनों पक्षों ने स्थानीय स्तर पर बातचीत के जरिए मामले को सुलझा लिया। उन्होंने कहा- सैनिकों के बीच हुई झड़प की दोनों घटनाओं का मौजूदा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्थितियों से कोई संबंध नहीं है। जब दो बड़े शक्तिशाली देश आमने-सामने होते हैं तो ऐसी चीजें होती हैं इसलिए हम ऐसी सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए हमेशा तैयार हैं।