अब आतंकी संगठन हिजबुल के पास नहीं बचा कोई लीडर, जूनियर कमांडर कर सकते हैं पलटवार


नई दिल्‍ली
हिजबुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर रियाज नायकू एनकांउटर में ढेर कर दिया गया है। इससे जो लीडर‍शिप का संकट पैदा हुआ है, वह हिजबुल के प्‍लान्‍स को बड़ा झटका है। उसकी मौत का 'बदला' लेने के लिए हिजबुल के जूनियर कमांडर हमला कर सकते हैं। जैश-ए-मोहम्‍मद या लश्‍कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्‍तानी आतंकी संगठन भी हमले की ताक में होंगे।
रमजान में बढ़ जाती है टेरर एक्टिविटी
जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकी गतिविधि बढ़ना कोई संयोग नहीं है। हर साल रमजान में घाटी के भीतर आतंकी ग्रुप्‍स एक्टिव होते हैं। पिछले कुछ दिनों में हंदवाड़ा और कुपवाड़ा जिलों में आतंकियों के साथ कई मुठभेड़ हुई हैं। जिनमें सेना और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के अलावा जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस के जवान भी शहीद हुए।


बद्र की लड़ाई से क्‍या है कनेक्‍शन?
खुफिया इनपुट्स बताते हैं कि आतंकियों ने 11 मई को 'बद्र की लड़ाई' (पैगंबर मोहम्‍मद की पहली मिलिट्री जीत) की सालगिरह के पहले हमले तेज कर‍ दिए है। एक सीनियर पैरामिलिट्री ऑफिसर ने हमारे सहयोगी टाइम्‍स ऑफ इंडिया को बताया, "पिछले साल ऐसा नहीं था, तब फोर्सेज टॉप पर थीं और कई आतंकी मारे गए थे। 11 मई को बद्र की लड़ाई (रमजान का 17वां दिन) की सालगिरह करीब आर ही है, हमने उम्‍मीद जताई थी कि आतंकी और हमले करेंगे।" 
क्‍यों इस दौरान खून से लाल होती है घाटी?
सीनियर ऑफिसर ने बताया, "द रेजिस्‍टेंट फ्रंट (TRF) के बैनर तले जैश और लश्‍कर जैसे ग्रुप्‍स इस दौरान हमला करते हैं। उनकी सोच है कि इस दौरान काफिरों को मारने से 'जन्‍नत' नसीब होती है। लेकिन सुरक्षा बलों ने इंटेलिजेंस-बेस्‍ड स्‍ट्राइक्‍स के जरिए आतंकियों को मजा चखाने का फैसला किया है। ताकि वो बैकफुट पर चले जाएं।"


आर्मी ने घाटी में अपनाई यह स्‍ट्रैटजी
सेना के इसी प्‍लान के तहत, बुधवार को नायकू को ढेर कर दिया गया। इस साल 6 मई तक कुल 68 आतंकी मारे गए हैं। इनमें 22 हिजबुल मुजाहिदीन के थे, आठ-आठ लश्‍कर और जैश से, तीन अंसार गजवत-उल-हिंद से, तीन आतंकी इस्‍लामिक स्‍टेट जम्‍मू-कश्‍मीर (ISJK) से थे। 24 आतंकियों की पहचान नहीं हो सकी। साल 2019 में कुल 156 आतंकियों को मार गिराया गया था।


सेना बराबर करेगी हिसाब
CRPF के एक अधिकारी ने कहा, "बेगपुरा के घर में रियाज की मौजूदगी की पुख्‍ता जानकारी मिली थी। बिना कोई वक्‍त गंवाए हमने बुधवार दोपहर करीब डेढ़ बजे उसे मार गिराया। रमजान के दौरान यह हमारी बड़ी कामयाबी है।" एक और अधिकारी ने कहा, "हमने अपने जवानों को खोया है, हम जल्‍द हिसाब बराबर कर लेंगे।"


पाकिस्‍तानी प्रोपेगंडा को बढ़ावा देता था रियाज
नायकू पर नजर रखने वाले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वह अपने अभियान के बारे में किसी को नहीं बताता था। तकनीक का अच्छा जानकार होने के नाते तकनीक से जुड़ा ऐसा कोई भी सुबूत नहीं छोड़ता था जो सुरक्षा बलों को उस तक पहुंचा सके। सूत्रों का कहना है कि आतंकवादी रियाज नायकू अकसर पाकिस्तानी प्रोपेगंडा को बढ़ावा देता था। उसने अनेक विडियो और ऑडियो जारी कर पुलिसकर्मियों को आतंकवाद विरोधी अभियानों से दूर रहने की चेतावनी दी थी। 
2017 में बना था हिजबुल कमांडर
नायकू एक प्राइ‌वेट स्कूल में मैथ्स का टीचर हुआ करता था, लेकिन 2012 में आतंकी संगठन में शामिल हो गया। 35 साल का नायकू कश्मीर में सबसे लंबे वक्त तक जिंदा रहने वाले आतंकियों में से एक था। वह करीब आठ साल से घाटी में एक्टिव था। 2017 में वह हिजबुल का कमांडर बना। वह सुरक्षाकर्मियों की हत्या में और सुरक्षा बलों पर हमले में भी शामिल था। खुद को पोस्टर बॉय के तौर पर स्थापित करने के लिए उसने पुलिस अफसरों के परिवार के लोगों का अपहरण करना तो शुरू किया ही साथ ही आतंकी के मरने पर बंदूकों से सलामी देने का चलन शुरू किया था, ताकि वह युवाओं को आतंक के ‘ग्लैमर’ के जाल में फंसा सके।