भारत के 200 आईपीएस अधिकारियों में से 25 की सर्वोच्च गुणवत्ता सूची मैं बी एल सोनी- जिस दिन से वर्दी को पहना है, डर ने भी अपना रास्ता बदल लिया है-बी एल सोनी

 



-- लियाकत अली भट्टी
 वरिष्ठ पत्रकार, जयपुर।


इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है के व्यक्तित्व भी अपना प्रभाव छोड़ता है। हर किसी के लिए तहे दिल से सलाम नहीं निकलता। कोई खास वजह होती है या आप उससे इतना प्रभावित होते हैं कि दिल से सलाम निकल आता है। मैं कुछ बरस पहले किसी खास मौके पर एक बार उनसे रूबरू हुआ था। उनके चेहरे का नूर और उनकी निश्चल हंसी और उनका बात करने का आत्मविश्वास, इन सब बातों से मैं इतना प्रभावित हुआ कि मैं यह समझ गया कि निश्चय ही यह इंसान कर्म के अच्छे, दूरअंदेशी, दूसरे के लिए भला सोचने वाले और कर्तव्य पालन के प्रति निष्ठा पूर्वक अपनी ड्यूटी निभाने वाले आई पी एस अधिकारी, नाम है भगवान लाल सोनी यानि कि बी एल सोनी। 
अक्सर यह देखा गया है कि जिम्मेदार अधिकारी के रूप में मध्यमवर्गीय परिवार के मेहनती बच्चे ही जिंदगी में कुछ कर दिखाते हैं। उच्च वर्गीय परिवार के लोग या तो ऐसो आराम करते हैं या पैसे के नशे में डूबे रहते हैं, उन्हें अक्सर कमाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। क्योंकि उन्होंने बचपन में कोई तकलीफ, कोई तंगी नहीं देखी, इसी कारण उन्हें मेहनत का एहसास नहीं होता। राजस्थान के जोधपुर जिले के एक गांव के मध्यम वर्गीय सोनी परिवार के बीएल सोनी भारत के 200 आईपीएस अधिकारियों में से 25 की सर्वोच्च गुणवत्ता सूची मैं आए हैं। यह क्या कम है कि प्रशासन ने इनको जिस ओहदे पर बिठाया है, जरूर कोई खास बात तो है। और वह बात हमेशा औरों से अलग ही होती है तभी तो इंसान भारत के 200 आईपीएस अधिकारियों  में से 25 की गिनती में आते हैं। ऐसी गिनती में हर कोई नहीं आ सकता, कोई विशेष बात होती है तभी नाम चुना जाता है। क्योंकि केंद्रीय स्तर पर पता नहीं कितनी स्क्रीनिंग कमेटियां होती हैं, जिनके सामने से ऐसी छन्टनी के लिए नाम गुजरते हैं।
 मुझे यह समाचार पढ़कर तहे दिल से खुशी हुई थी और मैं आज भी उनकी कार्यप्रणाली और विभाग में उनके लोगों के द्वारा उनकी तारीफ का कायल हूं। सरकार द्वारा सौंपे गए जिम्मेदारी के कई पदों पर आसीन रहते हुए आप सफलता से वे कार्य पूरे कर रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार स्तर पर कई पुरस्कारों से आपको नवाजा गया। वे पुरस्कार और वे सम्मान अनगिनत हैं, जो सरकारी सेवा में एक खास मुकाम रखते हैं। मैंने आज तक इन आईपीएस ऑफिसरों के नाम सुने हैं, जिन्होंने तमाम पुलिस विभाग और यातायात पुलिस विभाग में अपना नाम कमाया है - स्वर्गीय शांतनु कुमार,  बलभद्र सिंह राठौड़ (रिटा.),  भूपेंद्र सिंह यादव (1986),आनंद कुमार श्रीवास्तव (1988),  बी एल सोनी (1988), बीजू जॉर्ज जोसेफ (1995) तथा  संदीप सिंह चौहान (2005)।  इन तमाम आईपीएस अधिकारियों के लिए विभाग का हर कर्मचारी, कॉन्स्टेबल, अधिकारी, सब तारीफ करते नहीं थकते हैं कि ये इंसान नेक नियत, इंसाफ पसंद, अपने स्टाफ की समस्या को ध्यान से सुनने वाले और इंसानियत के ढंग से बात को समझने और फैसला करने वाले लोग हैं। इसीलिए आज भी जो स्वर्गीय हो चुके हैं, उन्हें भी याद किया जाता है और जो अभी हयात हैं, उन्हें भी याद करते हुए उनकी तारीफ की जाती है। 
जैसा मेरा मानना है और मैं समझता हूं कि यही कारण है कि इन सबका घरेलू जीवन भी बहुत अच्छा, साफ सुथरा, शांतिप्रिय और संतोषजनक रहा है। यानि कर्म ही जीवन,  घर-गृहस्थी और भविष्य बनाता है। मैं तो बस यह कहना चाहता हूं कि इन आईपीएस अधिकारियो जैसे इस पृथ्वी पर सब हो जाएं तो यह पृथ्वी स्वर्ग समान हो जाए। इंसान जिंदा रहते हुए इतना नाम कमा ले, यह बहुत बड़ी बात है। नहीं तो यह वह विभाग है जहां जरा सा भी खोट हो तो बुराई करते या बुराई बोलते हुए एक सेकंड नहीं लगाता। मुझे बहुत खुशी होती है कि जब मैं किसी भी सिपाही के मुंह से आप जैसे उपरोक्त लोगों की तारीफ में नाम सुनता हूं। भगवान से प्रार्थना है कि बधाई के पात्र श्री बी एल सोनी जी अपने जीवन में और तरक्की करें और इसी तरह इस बेधड़क और निश्चल मुस्कान के साथ अपने विभागों को देखते रहें और अपनी अनुशासनप्रिय कार्यप्रणाली से अपने विभाग का भी नाम रोशन करते रहें।