भारत रहा पीछे, पर इन 13 देशों ने कोरोना पर कमाल कर दिया


नई दिल्ली
भारत में कोरोना वायरस  का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था। 31 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार दुनिया भर में 9,826 मामले सामने आए थे, जिसमें से 9,720 मामले सिर्फ चीन में थे। चीन के बाहर सिर्फ थाईलैंड, सिंगापुर, जापान और दक्षिण कोरिया थे, जहां 10 से अधिक मामले मिले थे। लेकिन अब तक दुनिया में संक्रमण का मामला 38 लाख से अधिक हो चुका है और चीन में मामला अभी लाख का आंकड़ा भी नहीं छू सका है। पिछले तीन महीनों में तस्वीर ऐसी बदली कि दुनिया भर के तमाम देश बुरी तरह से प्रभावित हो गए हैं। आइए जानते हैं 1 फरवरी से लेकर 7 मई तक 20 देशों ने कैसे किया कोरोना को मैनेज।
भारत में अभी क्या हैं हालात?


बात अगर भारत की करें तो यहां हालात बहुत ही खराब हैं। यहां कोरोना का संक्रमण 5300 से भी अधिक लोगों में फैल चुका है और करीब 1700 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस के मामले बढ़ने की सबसे अधिक दर भारत में ही है, जो 6.7 फीसदी है। मई के शुरुआती 4 दिनों में ही 10 हजार से अधिक मामले सामने आ गए।
13 देश, जिन्होंने कोरोना कंट्रोल किया


जिन 3 देशों ने कोरोना को बहुत अच्छे से कंट्रोल किया वह सिंगापुर, यूएई, जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपीन्स, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, फिनलैंड, थाईलैंड, श्रीलंका, वियतनाम, कंबोडिया और नेपाल हैं। इसमें सिंगापुर में 20,198 मामले हैं, जहां 31 जनवरी को 13 मामले थे।


इतने दिनों में कोरोना को सबसे अच्छे से श्रीलंका, वियतनाम, कंबोडिया और नेपाल ने मैनेज किया, जहां पर कोरोना के मामले 1000 भी नहीं पहुंच सके। बल्कि इनमें सबसे अधिक मामले श्रीलंका में हैं, जिनकी संख्या 797 है। सबसे अच्छी हालत तो नेपाल की है, जहां 31 जनवरी को 1 मामला था और वह अब तक बढ़कर सिर्फ 99 हुआ है।
5 देशों में हालत सबसे खराब


सबसे बुरी हालत अमेरिका, इटली, फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की है, जहां पर 31 जनवरी को 10 मामले भी नहीं थे और अब कनाडा को छोड़ दें तो बाकी के 4 देशों में चीन से भी अधिक मामले हो गए हैं। अमेरिका में तो आंकड़ा 12 लाख का लेवल भी पार कर चुका है।
चीन की स्थिति भी जानिए


वैसे तो चीन में भी संक्रमण पहले की तुलना में बढ़ा है, लेकिन काफी कम दर से। 31 जनवरी को चीन में कुल मामले 9,720 थे, जो 7 मई तक 83,970 हो चुके हैं। फिलहाल अमेरिका, इटली, फ्रांस और जर्मनी चीन से भी आगे निकल गए हैं।